जागरुकता और चेतावानी के बाद भी दिवाली के दिन आतिशबाजी के दौरान सैकड़ों लोग घायल होकर इलाज कराने दिल्ली के अलग-अलग अस्पताल पहुंचे।
घायल के घाव की गंभीरता को देखते हुए करीब तीन दर्जन लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
दो दर्जन से अधिक लोगों को 20 फीसदी अथवा उससे भी ज्यादा जली हुई अवस्था में भर्ती कराया गया है। करीब 80 फीसदी मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
आतिशबाजी के दौरान झुलस कर सबसे अधिक लोगों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। दिवाली के दिन से लेकर बृहस्पतिवार दोपहर तक करीब 200 लोगों को इलाज के लिए लाया गया।
सफदरजंग में सात मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है। ये सभी 15 से 35 फीसदी तक झुलस गए हैं। राधिका (40) को 30 फीसदी जली अवस्था में कृष्णा (11) को 15 फीसदी, चन्द्रकांता (38) को 20 फीसदी, गौरव (23) को 35 फीसदी जली अवस्था, सिमु (23) को 20 फीसदी, निशि (19) को 15 फीसदी और शशांक (14) को 20 फीसदी जली हुई अवस्था में भर्ती कराया गया। सभी मरीजों का सफदजंग अस्पताल में इलाज चल रहा है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.ए.के.रॉय ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मरीजों की संख्या कम रही है। ज्यादातर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट््टी दे दी गई। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रवक्ता वी.के.सिन्हा ने बताया कि दिवाली के दिन से लेकर बृहस्पतिवार सुबह तक करीब 100 को बर्न विभाग में इलाज के लिए लाया गया।
तीन युवकों को भर्ती कराया गया है और तीनों की उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच है। तीनों ही युवकों को करीब 30 फीसदी जली हुई अवस्था में भर्ती कराया गया है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम संख्या में मरीज आए। पिछले वर्ष 150 से अधिक लोग आतिशबाजी के दौरान झुलसने के बाद इलाज के लिए पहुंचे थे।
दिल्ली सरकार के लोक नायक अस्पताल में आतिशबाजी से झुलस कर करीब 50 लोगों को इलाज के लिए लाया गया। तीन मरीजों को भर्ती करना पड़ा। एक बच्चे के आंख में जलने की वजह से घाव ज्यादा हो गया था लिहाजा उसे गुरु नानक आई सेंटर रेफर कर दिया गया।
जीटीबी, डीडीयू, अंबेडकर और बीजेआरएम जैसे अस्पताल में भी आतिशबाजी से झुलसने के बाद कुछ घायलों को भर्ती कराया गया है।
एम्स ट्रामा सेंटर में घायलों की संख्या करीब दोगुनी पहुंची
दिवाली के दिन और रात एम्स ट्रामा सेंटर में आम दिनों की तुलना में करीब दोगुना घायल इलाज के लिए पहुंचे। घायलों में ज्यादातर शराब की नशे में थे।
तीन घायलों को मृत अवस्था में लाया गया। ज्यादातर मामले आपसी झगड़े अथवा सड़क पर वाहन चलाने केदौरान हादसा होने के बाद इलाज के लिए पहुंचे।
एम्स प्रवक्ता डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि आमतौर पर एम्स ट्रामा सेंटर के आपातकालीन विभाग में एक दिन औसतन 140 घायलों को इलाज के लिए लाया जाता है लेकिन दिवाली के दिन और रात मिलाकर घायलों की संख्या 243 रिकार्ड की गई।
उन्होंने ने बताया कि 80 फीसदी मरीजों को मामूली चोटें थी जबकि ज्यादातर घायल लोग शराब की नशे में थे। 243 घायलों में 158 एमएलसी के मामले थे जकि 85 नॉन एमएलसी केस थे।
डॉ.गुप्ता ने बताया कि 77 घायलों को पुलिस लेकर आई थी, 35 घायल स्वंय आए, पांच को कैट्स एंबुलेंस से लाया गया जबकि दो घायलों को राहगीर लेकर पहुंचे।
घायल के घाव की गंभीरता को देखते हुए करीब तीन दर्जन लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
दो दर्जन से अधिक लोगों को 20 फीसदी अथवा उससे भी ज्यादा जली हुई अवस्था में भर्ती कराया गया है। करीब 80 फीसदी मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
आतिशबाजी के दौरान झुलस कर सबसे अधिक लोगों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। दिवाली के दिन से लेकर बृहस्पतिवार दोपहर तक करीब 200 लोगों को इलाज के लिए लाया गया।
सफदरजंग में सात मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है। ये सभी 15 से 35 फीसदी तक झुलस गए हैं। राधिका (40) को 30 फीसदी जली अवस्था में कृष्णा (11) को 15 फीसदी, चन्द्रकांता (38) को 20 फीसदी, गौरव (23) को 35 फीसदी जली अवस्था, सिमु (23) को 20 फीसदी, निशि (19) को 15 फीसदी और शशांक (14) को 20 फीसदी जली हुई अवस्था में भर्ती कराया गया। सभी मरीजों का सफदजंग अस्पताल में इलाज चल रहा है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.ए.के.रॉय ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मरीजों की संख्या कम रही है। ज्यादातर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट््टी दे दी गई। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रवक्ता वी.के.सिन्हा ने बताया कि दिवाली के दिन से लेकर बृहस्पतिवार सुबह तक करीब 100 को बर्न विभाग में इलाज के लिए लाया गया।
तीन युवकों को भर्ती कराया गया है और तीनों की उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच है। तीनों ही युवकों को करीब 30 फीसदी जली हुई अवस्था में भर्ती कराया गया है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम संख्या में मरीज आए। पिछले वर्ष 150 से अधिक लोग आतिशबाजी के दौरान झुलसने के बाद इलाज के लिए पहुंचे थे।
दिल्ली सरकार के लोक नायक अस्पताल में आतिशबाजी से झुलस कर करीब 50 लोगों को इलाज के लिए लाया गया। तीन मरीजों को भर्ती करना पड़ा। एक बच्चे के आंख में जलने की वजह से घाव ज्यादा हो गया था लिहाजा उसे गुरु नानक आई सेंटर रेफर कर दिया गया।
जीटीबी, डीडीयू, अंबेडकर और बीजेआरएम जैसे अस्पताल में भी आतिशबाजी से झुलसने के बाद कुछ घायलों को भर्ती कराया गया है।
एम्स ट्रामा सेंटर में घायलों की संख्या करीब दोगुनी पहुंची
दिवाली के दिन और रात एम्स ट्रामा सेंटर में आम दिनों की तुलना में करीब दोगुना घायल इलाज के लिए पहुंचे। घायलों में ज्यादातर शराब की नशे में थे।
तीन घायलों को मृत अवस्था में लाया गया। ज्यादातर मामले आपसी झगड़े अथवा सड़क पर वाहन चलाने केदौरान हादसा होने के बाद इलाज के लिए पहुंचे।
एम्स प्रवक्ता डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि आमतौर पर एम्स ट्रामा सेंटर के आपातकालीन विभाग में एक दिन औसतन 140 घायलों को इलाज के लिए लाया जाता है लेकिन दिवाली के दिन और रात मिलाकर घायलों की संख्या 243 रिकार्ड की गई।
उन्होंने ने बताया कि 80 फीसदी मरीजों को मामूली चोटें थी जबकि ज्यादातर घायल लोग शराब की नशे में थे। 243 घायलों में 158 एमएलसी के मामले थे जकि 85 नॉन एमएलसी केस थे।
डॉ.गुप्ता ने बताया कि 77 घायलों को पुलिस लेकर आई थी, 35 घायल स्वंय आए, पांच को कैट्स एंबुलेंस से लाया गया जबकि दो घायलों को राहगीर लेकर पहुंचे।