बिहार चुनाव में भाजपा की करारी शिकस्त को आम आदमी पार्टी (आप) अपने हक में मान रही है। पार्टी को भाजपा की हार का दोहरा फायदा दिख रहा है। पार्टी रणनीतिकारों की मानें, तो नए सियासी माहौल में भाजपा के लिए अकाली दल से नाता तोड़ पाना आसान नहीं होगा।
इससे अकाली सरकार के खिलाफ पंजाब में चल रही सत्ता विरोधी लहर आप को अपने हक में आती नजर आ रही है। वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को केंद्र सरकार के विरोध में आवाज उठाने के लिए नीतीश कुमार जैसा एक मजबूत सहयोगी मिल गया है।
पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि बेशक 2017 के पंजाब चुनाव से बिहार का कोई सीधा सियासी रिश्ता नजर नहीं आता, लेकिन रणनीतिक तौर पर बिहार चुनाव परिणाम के खास मायने हैं।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि भाजपा को यदि बिहार चुनाव में जीत मिलती, तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ज्यादा मजबूत होकर उभरते। ऐसे में शाह की रणनीति होती कि महाराष्ट्र की तरह पंजाब में भी अकाली दल से अपना सालों पुराना रिश्ता तोड़ लें।
इससे अकाली सरकार के खिलाफ पंजाब में चल रही सत्ता विरोधी लहर आप को अपने हक में आती नजर आ रही है। वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को केंद्र सरकार के विरोध में आवाज उठाने के लिए नीतीश कुमार जैसा एक मजबूत सहयोगी मिल गया है।
पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि बेशक 2017 के पंजाब चुनाव से बिहार का कोई सीधा सियासी रिश्ता नजर नहीं आता, लेकिन रणनीतिक तौर पर बिहार चुनाव परिणाम के खास मायने हैं।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि भाजपा को यदि बिहार चुनाव में जीत मिलती, तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ज्यादा मजबूत होकर उभरते। ऐसे में शाह की रणनीति होती कि महाराष्ट्र की तरह पंजाब में भी अकाली दल से अपना सालों पुराना रिश्ता तोड़ लें।