जेई जगत सिंह के मंझले भाई सुभाष ने ही घरेलू नौकर मोती की हत्या की थी। सुभाष को शक हो गया था कि मोती उसके परिवार के विरोधियों से मिलकर उन लोगों को बर्बाद करना चाहता था। हालांकि पुलिस सुभाष के इस तर्क को गंभीरता से नहीं ले रही है। रिमांड पर लेने के बाद उससे हत्याकांड की सच्चाई जानने का प्रयास किया जाएगा।
सीआईए बॉर्डर की हिरासत में सुभाष ने बताया कि उसका छोटा भाई सतपाल सरपंच के चुनाव में खड़ा हुआ था। करीब 70 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद 144 वोटों से हार गया था। सुभाष को लगता था कि मोती ने ही विरोध पार्टी से मिलकर भाई सतपाल को चुनाव हरवाया था।
उसे अभी भी लगता था कि मोती परिवारिक विरोधियों से मिलकर उसके परिवार को बर्बाद करना और जमीन पर कब्जा करने की साजिश रच रहा था। मोती हमेशा जेई जगत सिंह के साथ रहता और उनके ही कमरे में सोता था इसलिए वह हाथ नहीं आ रहा था। 18 अप्रैल को मोती जगत सिंह के कमरे में मैच देख रहा था। रात में कई बार बिजली कटी, इस पर जगत सिंह छत पर सोने चले गए।
मैच खत्म होने के बाद रात करीब बारह बजे मोती भी आंगन में बिस्तर बिछा कर सो गया। सुभाष के मुताबिक रात ढाई बजे के करीब वह नीचे उतरा तो मोती को अकेले सोता हुआ पाया। सिर की तरफ खड़े होकर उसने मोती पर फावड़े से तीन वार किए। खून की छीटें उसकी बनियान पर पड़ीं। फावड़ा धोने के बाद उसने खून से सनी बनियान उतार कर घर के पिछवाड़े फेक दी और दूसरे कपड़े पहन सो गया।
सुभाष के मुताबिक उसने मोती के सिर और चेहरे पर वार किया जबकि मृतक के पैर में भी चोट पाई गई। माना जा रहा है कि हत्या में सुभाष के साथ कोई और भी शामिल रहा होगा। सीआईए बॉर्डर इंचार्ज विमल कुमार ने बताया कि हत्याकांड में कोई और भी शामिल हो सकता है, जांच की जा रही है।
अधिक भरोसा बना हत्या की वजह
23 साल के मोती ने अपनी फुर्ती और काम से घर के सभी सदस्यों का भरोसा जीत लिया था। यहां तक कि जगत सिंह अपना धन भी बिना हिचक मोती को सुपुर्द कर दिया करते थे। हाल ही में मोती को महंगा स्मार्टफोन भी दिलाया था। नौकर पर इतना ज्यादा भरोसा परिवार के कुछ लोगों को अखरता था, इनमें सुभाष भी शामिल था।
सीआईए बॉर्डर की हिरासत में सुभाष ने बताया कि उसका छोटा भाई सतपाल सरपंच के चुनाव में खड़ा हुआ था। करीब 70 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद 144 वोटों से हार गया था। सुभाष को लगता था कि मोती ने ही विरोध पार्टी से मिलकर भाई सतपाल को चुनाव हरवाया था।
उसे अभी भी लगता था कि मोती परिवारिक विरोधियों से मिलकर उसके परिवार को बर्बाद करना और जमीन पर कब्जा करने की साजिश रच रहा था। मोती हमेशा जेई जगत सिंह के साथ रहता और उनके ही कमरे में सोता था इसलिए वह हाथ नहीं आ रहा था। 18 अप्रैल को मोती जगत सिंह के कमरे में मैच देख रहा था। रात में कई बार बिजली कटी, इस पर जगत सिंह छत पर सोने चले गए।
मैच खत्म होने के बाद रात करीब बारह बजे मोती भी आंगन में बिस्तर बिछा कर सो गया। सुभाष के मुताबिक रात ढाई बजे के करीब वह नीचे उतरा तो मोती को अकेले सोता हुआ पाया। सिर की तरफ खड़े होकर उसने मोती पर फावड़े से तीन वार किए। खून की छीटें उसकी बनियान पर पड़ीं। फावड़ा धोने के बाद उसने खून से सनी बनियान उतार कर घर के पिछवाड़े फेक दी और दूसरे कपड़े पहन सो गया।
सुभाष के मुताबिक उसने मोती के सिर और चेहरे पर वार किया जबकि मृतक के पैर में भी चोट पाई गई। माना जा रहा है कि हत्या में सुभाष के साथ कोई और भी शामिल रहा होगा। सीआईए बॉर्डर इंचार्ज विमल कुमार ने बताया कि हत्याकांड में कोई और भी शामिल हो सकता है, जांच की जा रही है।
अधिक भरोसा बना हत्या की वजह
23 साल के मोती ने अपनी फुर्ती और काम से घर के सभी सदस्यों का भरोसा जीत लिया था। यहां तक कि जगत सिंह अपना धन भी बिना हिचक मोती को सुपुर्द कर दिया करते थे। हाल ही में मोती को महंगा स्मार्टफोन भी दिलाया था। नौकर पर इतना ज्यादा भरोसा परिवार के कुछ लोगों को अखरता था, इनमें सुभाष भी शामिल था।