Why not ban government diesel vehicles: NGT / सरकारी डीजल वाहनों पर क्यों न लगे प्रतिबंध : एनजीटी

Ramandeep Kaur
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिए गए आदेशों पर अमल न होने पर नाराजगी जाहिर की है। एनजीटी� ने राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी एजेंसियों को फटकार लगाते हुए पूछा है कि आखिर सरकारी विभागों में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के मामले पर वे अपना स्पष्ट पक्ष ट्रिब्यूनल के समक्ष क्यों नहीं रख रहे।

बेंच ने कहा कि हमें आदेश दिए हुए दो महीने से अधिक हो चुके हैं। इसके बावजूद सार्वजनिक उपक्रमों और निकायों ने पुराने डीजल वाहनों को हटाने के संबंध में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। बेंच ने अपनी टिप्पणी� में कहा कि सार्वजनिक प्राधिकरण बताएं कि सरकारी वाहनों पर प्रतिबंध क्यों न लगा दिया जाए?

जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने वायु प्रदूषण से जुड़े� मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली के नगर निगमों व सार्वजनिक प्राधिकरणों को� सरकारी डीजल वाहन खासतौर से ट्रक व अन्य वाहनों को हटाने के लिए फटकार� लगाई। बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई में प्राधिकरण अपना पक्ष रखें।

एनजीटी� की यह टिप्पणी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की ओर से दाखिल याचिका� के बाद आई है। निगम ने इस याचिका में कूड़ों के निस्तारण को लेकर नए डीजल� वाहनों के खरदीने व रजिस्ट्रेशन की इजाजत मांगी है। निगम ने याचिका में� एनजीटी से मांग की है कि वह दिल्ली सरकार को भारत स्टैंडर्ड- 4 के मानकों� के आधार पर नए डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन की इजाजत दे।

सुनवाई के दौरान� निगम ने ट्रिब्यूनल को बताया कि वह बीते वर्ष डीजल वाहनों के संबंध में दिए� गए एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम कर रही है। हालांकि वाहनों की कमी से से कूड़ा निस्तारण में समस्या पैदा हो रही है।

कूड़ा निस्तारण� के लिए 48 तीन पहिया ई-रिक्शा, 308 सीएनजी आधारित ऑटो टिप्पर्स, ठोस कचरे� (एसएसडब्ल्यू) के लिए 43 डीजल आधारित भारी व्यावसायिक वाहन, साद (सिल्ट)� हटाने के लिए 18 ऑटो टिप्पर, सड़कों से कूड़ा हटाने के लिए भारी व्यावसायिक वाहन चाहिए।

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