हाईकोर्ट ने नर्सरी दाखिले में निजी स्कूलों का प्रबंधन कोटा खत्म करने संबंधी दिल्ली सरकार के फैसले पर लगाई गई रोक के खिलाफ दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि 2007 में उपराज्यपाल के निर्देश के अनुसार जब निजी स्कूलों को प्रबंधन कोटा के लिए अधिकृत किया गया है तो इस पर रोक कैसे लगाई जा सकती है।
अदालत ने कहा कि दिल्ली में अच्छे स्कूलों की कमी के चलते परिजन अपने बच्चों का नोएडा, गुड़गांव आदि जगहों में दाखिला करवा रहें हैं, दिल्ली की बजाए एनसीआर में दाखिला पाना आसान है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार को यह साबित करना होगा कि निजी स्कूलों में शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है। स्कूल प्रबंधन कोटे की आड़ में सीट को बेच रहें हैं। सरकार बताए की उनके आरोपों का आधार क्या है।
शिक्षा निदेशालय ने सिंगल जज के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें प्रबंधन कोटा खत्म करने के निर्णय पर रोक लगाई गई है। दिल्ली सरकार ने कहा कि कि प्रबंधन कोटा छात्रों के हित के खिलाफ है। इसका दुरुपयोग होने का खतरा है। सिंगल जज ने 4 फरवरी को गलत तरीके से प्रबंधन कोटा रद्द करने संबंधी सरकार के निर्णय पर रोक लगाई है। दिल्ली सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि प्रबंधन कोटा एक रैकेट है और इसके जरिए स्कूल प्रशासन अभिभावकों से उगाही करते हैं।
अधिवक्ता ने कहा कि स्कूल में योग्यता के आधार पर दाखिला मिलना चाहिए। प्रबंधन कोटे का कोई स्तर नहीं है, इसमें पारदर्शिता नहीं है। कोटे के नाम पर बच्चों से भेदभाव किया जा रहा है। इसके अलावा जिन 11 मानदंडों पर दाखिले की इजाजत दी गई है वे बच्चों से भेदभावपूर्ण है। गौरतलब है कि राजधानी के करीब 400 निजी स्कूलों की एक्शन कमेटी व फोरम फॉर प्रमोशन ऑफ क्वालिटी एजूकेशन फॉर ऑल ने सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ही एक सदस्यीय पीठ ने सरकार के निर्णय पर रोक लगाई थी।
अदालत ने कहा कि दिल्ली में अच्छे स्कूलों की कमी के चलते परिजन अपने बच्चों का नोएडा, गुड़गांव आदि जगहों में दाखिला करवा रहें हैं, दिल्ली की बजाए एनसीआर में दाखिला पाना आसान है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार को यह साबित करना होगा कि निजी स्कूलों में शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है। स्कूल प्रबंधन कोटे की आड़ में सीट को बेच रहें हैं। सरकार बताए की उनके आरोपों का आधार क्या है।
शिक्षा निदेशालय ने सिंगल जज के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें प्रबंधन कोटा खत्म करने के निर्णय पर रोक लगाई गई है। दिल्ली सरकार ने कहा कि कि प्रबंधन कोटा छात्रों के हित के खिलाफ है। इसका दुरुपयोग होने का खतरा है। सिंगल जज ने 4 फरवरी को गलत तरीके से प्रबंधन कोटा रद्द करने संबंधी सरकार के निर्णय पर रोक लगाई है। दिल्ली सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि प्रबंधन कोटा एक रैकेट है और इसके जरिए स्कूल प्रशासन अभिभावकों से उगाही करते हैं।
अधिवक्ता ने कहा कि स्कूल में योग्यता के आधार पर दाखिला मिलना चाहिए। प्रबंधन कोटे का कोई स्तर नहीं है, इसमें पारदर्शिता नहीं है। कोटे के नाम पर बच्चों से भेदभाव किया जा रहा है। इसके अलावा जिन 11 मानदंडों पर दाखिले की इजाजत दी गई है वे बच्चों से भेदभावपूर्ण है। गौरतलब है कि राजधानी के करीब 400 निजी स्कूलों की एक्शन कमेटी व फोरम फॉर प्रमोशन ऑफ क्वालिटी एजूकेशन फॉर ऑल ने सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ही एक सदस्यीय पीठ ने सरकार के निर्णय पर रोक लगाई थी।