बिहार में भाजपा की हार से सबसे ज्यादा खुशी सपा को हुई है। सपा को इस बात का डर था कि अगर भाजपा ने बिहार जीत लिया तो अगला निशाना उत्तर प्रदेश ही होगा।
अब स्थानीय सपाइयों के हौसले बुलंद हो गए हैं। वहीं, राजनीति के जानकारों का कहना है कि भाजपा नेताओं को बड़बोलापन व बिसाहड़ा कांड ने भाजपा को मात दिलाई है।
घटना को लेकर ‘विशेष जाति के वोटरों’ ने पार्टी से दूरी बना ली थी। बिहार चुनाव से ठीक पहले दादरी के बिसाहड़ा में प्रतिबंधित पशु को लेकर इकलाख की हत्या कर दी गई थी।
बयानबाजी में सबसे ज्यादा भाजपा आगे रही। वहीं, सपा ने मरहम लगाने का काम किया। सपा का कोई बड़ा नेता बिसाहड़ा नहीं गया, लेकिन कानूनी कार्रवाई में कोई कसर नहीं छोड़ी।
राजनीति विशेषज्ञ आर एन सिंह का मानना है कि लोकतंत्र में ज्यादा बोलने वालों से चुप रहने वाली जनता ज्यादा ताकतवर होती है। अक्सर देखा गया है कि पीड़ित पक्ष एकजुट होकर वोट देता है और देश में कई बार राजनीतिक पार्टियां धड़ाम से गच्चा खा चुकी हैं।
अब स्थानीय सपाइयों के हौसले बुलंद हो गए हैं। वहीं, राजनीति के जानकारों का कहना है कि भाजपा नेताओं को बड़बोलापन व बिसाहड़ा कांड ने भाजपा को मात दिलाई है।
घटना को लेकर ‘विशेष जाति के वोटरों’ ने पार्टी से दूरी बना ली थी। बिहार चुनाव से ठीक पहले दादरी के बिसाहड़ा में प्रतिबंधित पशु को लेकर इकलाख की हत्या कर दी गई थी।
यह मुद्दा सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर भी उठा था। घटना को लेकर बयानबाजी भी खूब हुई। बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त भी प्रमुख मुद्दे भूल बिसाहड़ा प्रकरण को भी खूब हवा मिली थी।
बयानबाजी में सबसे ज्यादा भाजपा आगे रही। वहीं, सपा ने मरहम लगाने का काम किया। सपा का कोई बड़ा नेता बिसाहड़ा नहीं गया, लेकिन कानूनी कार्रवाई में कोई कसर नहीं छोड़ी।
राजनीति विशेषज्ञ आर एन सिंह का मानना है कि लोकतंत्र में ज्यादा बोलने वालों से चुप रहने वाली जनता ज्यादा ताकतवर होती है। अक्सर देखा गया है कि पीड़ित पक्ष एकजुट होकर वोट देता है और देश में कई बार राजनीतिक पार्टियां धड़ाम से गच्चा खा चुकी हैं।