प्राकृतिक गैस (सीएनजी) से चलने वाले वाहनों को भले ही पर्यावरण अनुकूल माना जाता हो, लेकिन एक नए अध्ययन में इन वाहनों से निकलने वाले धुएं को बेहद खतरनाक बताया गया है।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने अपने अध्ययन में कहा है कि सीएनजी वाहनों से खतरनाक नैनो कार्बन निकल रहा है। यह नैनो कार्बन इंसानों में कैंसर का कारण बन सकता है।
हालांकि यह अध्ययन राजधानी दिल्ली में बहुत ही सीमित नमूनों के जरिए किया गया फिर भी इसके परिणाम हमारी सेहत के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं।
साथ ही भविष्य में अन्य जगहों पर सीएनजी की इजाजत देने के मामले में ये परिणाम केंद्र सरकार को आगाह भी करने वाले हैं।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर एमओ गर्ग के मुताबिक, यह नए अध्ययन से हमारे इस नजरिये में बदलाव आ सकता है कि प्राकृतिक गैस एक स्वच्छ ईंधन हैं, क्योंकि हमें लगता है कि डीजल और पेट्रोल की बजाय सीएनजी से चलने वाले वाहन प्रत्यक्ष धुएं का उत्सर्जन नहीं करते, जिससे पर्यावरण और हमारी सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता।
सीएसआईआर के महानिदेशक गर्ग ने बताया कि यह अध्ययन अल्बर्ट विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के साथ मिलकर किया गया। इन प्रोफेसरों ने वाहनों से निकलने वाले कार्बन को नापने और उनका विश्लेषण करने वाली एक डिवाइस विकसित की है।
हमने इस डिवाइस को सीएनजी से चलने वाली डीटीसी की बसों में लगाया। इसके जो परिणाम आए वे चौंकाने वाले रहे।
अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में सीएनजी बसों से नैनो कार्बन कण निकल रहे हैं। ये कण वातावरण में चारों ओर घूम रहे हैं और सांस के साथ हमारे फेफड़ों में जा रहे हैं।
वहां से ये मेंब्रेन के जरिये हमारे रक्त में प्रवेश कर रहे हैं। गर्ग के मुताबिक, ये नैनो कार्बन इंसानी शरीर में कैंसर पैदा कर सकते हैं। गर्ग ने बताया कि उन्होंने सीएनजी के असर के बारे में सरकार को आगाह कर दिया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में जिस तरह से कॉमर्शियल वाहन सीएनजी से दौड़ रहे हैं उससे हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
सीएसआईआर रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र का एक प्रमुख सरकारी राष्ट्रीय संगठन है। इसकी गिनती दुनिया के शीर्ष सरकारी रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थानों में होती है।
विज्ञान और तकनीक तथा मानव संसाधन के क्षेत्र में इसके शोध सराहनीय रहे हैं। देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में इसका अहम योगदान माना जाता है।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने अपने अध्ययन में कहा है कि सीएनजी वाहनों से खतरनाक नैनो कार्बन निकल रहा है। यह नैनो कार्बन इंसानों में कैंसर का कारण बन सकता है।
हालांकि यह अध्ययन राजधानी दिल्ली में बहुत ही सीमित नमूनों के जरिए किया गया फिर भी इसके परिणाम हमारी सेहत के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं।
साथ ही भविष्य में अन्य जगहों पर सीएनजी की इजाजत देने के मामले में ये परिणाम केंद्र सरकार को आगाह भी करने वाले हैं।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर एमओ गर्ग के मुताबिक, यह नए अध्ययन से हमारे इस नजरिये में बदलाव आ सकता है कि प्राकृतिक गैस एक स्वच्छ ईंधन हैं, क्योंकि हमें लगता है कि डीजल और पेट्रोल की बजाय सीएनजी से चलने वाले वाहन प्रत्यक्ष धुएं का उत्सर्जन नहीं करते, जिससे पर्यावरण और हमारी सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता।
सीएसआईआर के महानिदेशक गर्ग ने बताया कि यह अध्ययन अल्बर्ट विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के साथ मिलकर किया गया। इन प्रोफेसरों ने वाहनों से निकलने वाले कार्बन को नापने और उनका विश्लेषण करने वाली एक डिवाइस विकसित की है।
हमने इस डिवाइस को सीएनजी से चलने वाली डीटीसी की बसों में लगाया। इसके जो परिणाम आए वे चौंकाने वाले रहे।
अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में सीएनजी बसों से नैनो कार्बन कण निकल रहे हैं। ये कण वातावरण में चारों ओर घूम रहे हैं और सांस के साथ हमारे फेफड़ों में जा रहे हैं।
वहां से ये मेंब्रेन के जरिये हमारे रक्त में प्रवेश कर रहे हैं। गर्ग के मुताबिक, ये नैनो कार्बन इंसानी शरीर में कैंसर पैदा कर सकते हैं। गर्ग ने बताया कि उन्होंने सीएनजी के असर के बारे में सरकार को आगाह कर दिया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में जिस तरह से कॉमर्शियल वाहन सीएनजी से दौड़ रहे हैं उससे हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
सीएसआईआर रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र का एक प्रमुख सरकारी राष्ट्रीय संगठन है। इसकी गिनती दुनिया के शीर्ष सरकारी रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थानों में होती है।
विज्ञान और तकनीक तथा मानव संसाधन के क्षेत्र में इसके शोध सराहनीय रहे हैं। देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में इसका अहम योगदान माना जाता है।