वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (WWE) के हैविवेट चैंपियन दलीप सिंह राणा उर्फ द ग्रेट खली की एक नई बात पता चली है, जो आपकी नजर में उन्हें हीरो बना देगी। देखिए, क्या है वो बात।
दरअसल, खली इन दिनों जालंधर के होशियारपुड रोड पर पड़ते गांव कंगनीवाल में कांटीनेंटल रेसलिंग एंटरटेनमेंट (सीडब्ल्यूई) के नाम से खुद की एकेडमी चला रहे है। इस एकेडमी को खोलने का सारा खर्च खुद खली ने उठाया है। विशेष बातचीत में खली ने कहा कि उन्होंने न सरकारी मदद मांगी और न ही जरूरत पड़ी
खली ने कहा कि सपना और लक्ष्य है कि वह भारतीय युवाओं को डब्ल्यूडब्ल्यूई तक पहुंचाए। इसी मकसद से एकेडमी की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं में ताकत की कमी नहीं है बस डब्ल्यूडब्ल्यूई की तकनीक को सिखना उनके लिए जरूरी है। उनकी एकेडमी में 50 स्टूडेंट्स अभ्यास कर रहे हैं।
इनमें कुछ लड़कियां भी शामिल है। वह सभी स्टूडेंट्स को खुद ट्रेनिंग दे रहे हैं। सुबह 11 बजे एकेडमी पहुंचते है और शाम 6 बजे तक ट्रेनिंग का सिलसिला चलता रहता है। खिलाड़ियों के रहने की लिए एकेडमी के ऊपर ही हॉस्टल बनाया गया है। खली ने कहा कि एकेडमी खोलने पर काफी खर्चा हुआ है, मगर उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।
खली ने कहा कि बस युवाओं को डब्ल्यूडब्ल्यूई की ट्रेनिंग देने के लिए एकेडमी खोलना उनका मकसद था, जोकि पूरा हुआ है। अब उनका लक्ष्य है कि वह भारतीय युवाओं को डब्ल्यूडब्ल्यूई में लड़ते हुए देखना चाहते है। एकेडमी में पंजाब के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजिस्थान इत्यादि से आए युवा खली की एकेडमी में ट्रेनिंग ले रहे हैं।
खली ने कहा कि उनके काम की कोई प्रशंसा करे उसका भी भला और न करें उसका भी भला हो। उनका मकसद है देश की भलाई करना, ताकि युवाओं को नशे की लत से बचाया जा सके। गांव कंगनीवाल में खली की चल रही सीडब्ल्यूई एकेडमी में एक भी एसी नहीं लगा है। खिलाड़ियों को पंखे के नीचे प्रेटिक्स करवाई जाती है।
दरअसल, खली इन दिनों जालंधर के होशियारपुड रोड पर पड़ते गांव कंगनीवाल में कांटीनेंटल रेसलिंग एंटरटेनमेंट (सीडब्ल्यूई) के नाम से खुद की एकेडमी चला रहे है। इस एकेडमी को खोलने का सारा खर्च खुद खली ने उठाया है। विशेष बातचीत में खली ने कहा कि उन्होंने न सरकारी मदद मांगी और न ही जरूरत पड़ी
खली ने कहा कि सपना और लक्ष्य है कि वह भारतीय युवाओं को डब्ल्यूडब्ल्यूई तक पहुंचाए। इसी मकसद से एकेडमी की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं में ताकत की कमी नहीं है बस डब्ल्यूडब्ल्यूई की तकनीक को सिखना उनके लिए जरूरी है। उनकी एकेडमी में 50 स्टूडेंट्स अभ्यास कर रहे हैं।
इनमें कुछ लड़कियां भी शामिल है। वह सभी स्टूडेंट्स को खुद ट्रेनिंग दे रहे हैं। सुबह 11 बजे एकेडमी पहुंचते है और शाम 6 बजे तक ट्रेनिंग का सिलसिला चलता रहता है। खिलाड़ियों के रहने की लिए एकेडमी के ऊपर ही हॉस्टल बनाया गया है। खली ने कहा कि एकेडमी खोलने पर काफी खर्चा हुआ है, मगर उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।
खली ने कहा कि बस युवाओं को डब्ल्यूडब्ल्यूई की ट्रेनिंग देने के लिए एकेडमी खोलना उनका मकसद था, जोकि पूरा हुआ है। अब उनका लक्ष्य है कि वह भारतीय युवाओं को डब्ल्यूडब्ल्यूई में लड़ते हुए देखना चाहते है। एकेडमी में पंजाब के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजिस्थान इत्यादि से आए युवा खली की एकेडमी में ट्रेनिंग ले रहे हैं।
खली ने कहा कि उनके काम की कोई प्रशंसा करे उसका भी भला और न करें उसका भी भला हो। उनका मकसद है देश की भलाई करना, ताकि युवाओं को नशे की लत से बचाया जा सके। गांव कंगनीवाल में खली की चल रही सीडब्ल्यूई एकेडमी में एक भी एसी नहीं लगा है। खिलाड़ियों को पंखे के नीचे प्रेटिक्स करवाई जाती है।
