पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने इंडस्ट्री पर लॉकडाउन पीरियड के फिक्स चार्जेस छह महीने की किश्तों में अदायगी के आदेश जारी कर दिए हैं। इन आदेशों पर जनता नगर स्मॉल स्केल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान जसविंदर सिंह ठुकराल ने मोर्चा खोला दिया है। उन्होंने सरकार से कमीशन को भंग करने की मांग कर कहा कि चंडीगढ़ में कमीशन के चेयरमैन, दो सदस्य और स्टाफ को अलीशान ऑफिस मिला है। इसका करोड़ों का खर्च पब्लिक पर पड़ रहा है, जबकि ये कमीशन केवल इंडस्ट्री के खिलाफ फैसला करना ही जानता है। उन्होंने कहा कि कमीशन पंजाब सरकार के आदेशों तक को नहीं मानता।
गौर हो कि पंजाब सरकार ने 23 मार्च से आगे के दो महीने का इंडस्ट्री से फिक्स चार्जेस न लेने का फैसला किया था और ये आदेश पावरकॉम को जारी किए थे। इस पर पावरकॉम नेे रेगुलेटरी कमीशन से मंजूरी लेने को पिटीशन दायर की थी। इस पर कमीशन ने एक जून को चंडीगढ़ ऑफिस में पब्लिक सुनवाई कर ऐतराज मांगे थे। इस पर अब कमिशन ने फैसला देकर फिक्स चार्जेस माफ करने के आदेश को खारिज कर छह महीनों की किश्तों में इसका भुगतान करने के लिए इंडस्ट्री को कहा है।
प्रधान जसविंदर सिंह ठुकराल ने इस मामले में एक मीटिंग कर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग की है कि इंडस्ट्री की आर्थिक हालत बेहद पतली है और ऐसे में अगर एक साल के लिए ये फिक्स चार्जिज माफ नहीं किए गए तो इंडस्ट्री को मौजूदा हालातों में चलाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इस मीटिंग में इंद्रजीत सिंह, वलैती राम दुर्गा, राजिंदर सिंह कलसी, सविंदर सिंह व अन्य मौजूद थे।
31 मार्च तक चार्जेस हों माफ : फीको
फीको प्रधान गुरमीत सिंह कुलार के साथ वरिष्ठ उप प्रधान मनजिंदर सिंह सचदेवा और महासचिव राजीव जैन ने 12 महीनों के लिए निर्धारित व्यय की पूर्ण प्रतिपूर्ति की मांग की, क्योंकि उद्योग 30% श्रम के साथ काम कर रहा है। निर्धारित शुल्क का भुगतान करने में असमर्थ है। बिजली आपूर्ति के लिए एक और लाइसेंसधारी नियुक्त करने के लिए आयोग से अनुरोध किया, ताकि औद्योगिक प्रतिस्पर्धा की स्थिति में उसे सस्ती बिजली मिल सके।
पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड का नवीनतम निर्णय है कि उद्योग पर फिक्स्ड चार्ज लगाया जाएगा। यह फैसला इंडस्ट्री की समस्याएं और बढ़ा देगा। लॉकडाउन की अवधि के लिए फिक्स्ड चार्ज समाप्त किया जाए। उधर, ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के प्रेसिडेंट बदीश जिंदल ने कहा कि यह फैसला इंडस्ट्री के संभव नहीं है। सीएम ने गलत बयान दिया है। सरकार ने ही इंडस्ट्री के सब्सिडी के 300 करोड़ ग्रैब कर लिए हैं। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना होगा।
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