भारतीय सेनाओं को अब तक आपने आपातकालीन परिस्थितियों में लोगों की मदद करते या युद्घ के दौरान देश के लिए लड़ते देखा होगा, इसी 26 जुलाई को भारतीय वायु सेना ने देश सेवा की एक नई मिसाल पेश की।
असल में इंडियन एयरफोर्स के इस विमान ने पुणे से दिल्ली के अपने एक घंटे बीस मिनट की उड़ान से दो जिंदगियों को समय से पहले खत्म होने से बचा लिया।
एयर इंडिया के इस विमान ने मात्र डेढ़ घंटे में दो मानव अंगों को पुणे से दिल्ली पहुंचा कर दो लोगों की जान बचा ली। असल में 26 जुलाई को 45 वर्षीय एक महिला के बेटे सर्वदे को अस्पताल ने मानसिक तौर पर मृत घोषित कर दिया। सर्वदा की मां ने तय किया कि वह अपने बेटे के शरीर को यूं ही जाया नहीं होने देंगी।
उन्होंने अपने बेटे के अंगों को दान करने का निर्णय लिया। अंग दान किए जाने की स्थिती में यह जरूरी है कि उसे पाने वाले तक सही समय में पहुंचाया जा सके।
सर्वदे की एक किडनी को पुणे के आर्मी अस्पताल में भर्ती मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया गया, जबकि उनकी दूसरी किडनी और लीवर को दिल्ली लाकर ट्रांसप्लांट किया गया।
दान किए गए अंगों को दिल्ली लाने के लिए कागजी कार्रवाई को तेजी से निबटाने के बाद अस्पताल और हवाई अड्डे के बीच ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया गया। मात्र आठ मिनट में किडनी और लीवर को अस्पताल से एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया।
अंगों के अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने तुरंत मरीजों की सर्जरी शुरु कर दी। सामान्य स्थिती में किसी विमान को पुणे से दिल्ली आने में दो घंटे से ज्यादा समय लगता है, लेकिन वायु सेना की तत्परता के कारण डेढ़ घंटे से भी कम समय में इसे दिल्ली पहुंचाया जा सका।
सही समय पर अंगों के दिल्ली पहुंचने की वजह से लीवर कैंसर से पीड़ित 56 वर्षीय पूर्व सैन्यकर्मी और किडनी खराब होने की समस्या से जूझ रहे एक जवान की जान बचाई जा सकी।
इतना ही नहीं सर्वदे के अन्य अंगों को भी उनकी मां ने दान कर दिया। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में भारतीय वायु सेना की तेजी ने देश की सेवा के एक नए आयाम को खोल दिया।
भारतीय वायु सेना के जेट विमान ने डेढ़ घंटे से भी कम समय में किडनी और लीवर को पुणे से दिल्ली पहुंचा दिया। विमान पुणे से रात 11:20 पर चला और रात 12:40 पर दिल्ली पहुंच गया।
असल में इंडियन एयरफोर्स के इस विमान ने पुणे से दिल्ली के अपने एक घंटे बीस मिनट की उड़ान से दो जिंदगियों को समय से पहले खत्म होने से बचा लिया।
एयर इंडिया के इस विमान ने मात्र डेढ़ घंटे में दो मानव अंगों को पुणे से दिल्ली पहुंचा कर दो लोगों की जान बचा ली। असल में 26 जुलाई को 45 वर्षीय एक महिला के बेटे सर्वदे को अस्पताल ने मानसिक तौर पर मृत घोषित कर दिया। सर्वदा की मां ने तय किया कि वह अपने बेटे के शरीर को यूं ही जाया नहीं होने देंगी।
उन्होंने अपने बेटे के अंगों को दान करने का निर्णय लिया। अंग दान किए जाने की स्थिती में यह जरूरी है कि उसे पाने वाले तक सही समय में पहुंचाया जा सके।
सर्वदे की एक किडनी को पुणे के आर्मी अस्पताल में भर्ती मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया गया, जबकि उनकी दूसरी किडनी और लीवर को दिल्ली लाकर ट्रांसप्लांट किया गया।
दान किए गए अंगों को दिल्ली लाने के लिए कागजी कार्रवाई को तेजी से निबटाने के बाद अस्पताल और हवाई अड्डे के बीच ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया गया। मात्र आठ मिनट में किडनी और लीवर को अस्पताल से एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया।
अंगों के अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने तुरंत मरीजों की सर्जरी शुरु कर दी। सामान्य स्थिती में किसी विमान को पुणे से दिल्ली आने में दो घंटे से ज्यादा समय लगता है, लेकिन वायु सेना की तत्परता के कारण डेढ़ घंटे से भी कम समय में इसे दिल्ली पहुंचाया जा सका।
सही समय पर अंगों के दिल्ली पहुंचने की वजह से लीवर कैंसर से पीड़ित 56 वर्षीय पूर्व सैन्यकर्मी और किडनी खराब होने की समस्या से जूझ रहे एक जवान की जान बचाई जा सकी।
इतना ही नहीं सर्वदे के अन्य अंगों को भी उनकी मां ने दान कर दिया। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में भारतीय वायु सेना की तेजी ने देश की सेवा के एक नए आयाम को खोल दिया।
भारतीय वायु सेना के जेट विमान ने डेढ़ घंटे से भी कम समय में किडनी और लीवर को पुणे से दिल्ली पहुंचा दिया। विमान पुणे से रात 11:20 पर चला और रात 12:40 पर दिल्ली पहुंच गया।