प्राधिकरण के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव सिंह का साथ देने वाले पहले फख्र किया करते थे,लेकिन अब वही पछता रहे हैं। 2002 से लेकर 2015 तक यादव सिंह का लंबा कार्यकाल रहा।
इस दौरान यादव सिंह के कई दोस्त भी बने और दुश्मन भी। अब सीबीआई के हाथ लगी घर से बरामद की गई डायरी में ठेकेदार, बिल्डर, फैक्ट्री मालिक और ढेर सारे कारोबारियों पर शिकंजा कसना तय हो गया है।
27 नवंबर 2014 को जब यादव सिंह के घर, दफ्तर और रिश्तेदारों के यहां आयकर विभाग का छापा पड़ा था तो टीम ने नकदी, हीरा-सोना समेत काफी सामान जब्त किया।
बताते हैं कि जैसे ही सीबीआई ने छापा मारा तो उन्होंने आईटी की रिपोर्ट और जरूरी कागजात भी ले लिए हैं। उसमें यादव सिंह की एक नहीं बल्कि कई डायरियां भी टीम के पास पहुंच चुकी हैं।
सबसे ज्यादा टेंडर व प्रॉपर्टी के आवंटन से जुड़ी जानकारियां डायरी में लिखी हैं। किसको कितना दिया, किससे कितना लेना है, किसी सिफारिश थी आदि।
इतना ही नहीं काले धन को किसके पास ठिकाने लगाया गया, यह भी जानकारी लिखी है। किस प्रोजेक्ट में किस नाम से पैसा लगा है, इसे भी यादव सिंह लिखना नहीं भूले।