करीब डेढ़ माह जेल में रहने के बाद फर्जी डिग्री मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को जमानत मिल गई। अदालत ने शुक्रवार को उनकी सशर्त जमानत स्वीकार की।
साकेत अदालत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने तोमर को 50 हजार रुपये के व्यक्तिगत मुचलके व एक अन्य जमानती पेश करने पर जमानत दी है।
अदालत ने तोमर को बिना अदालत की इजाजत दिल्ली से बाहर जाने पर रोक लगाते हुए उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों से संपर्क न करने का भी निर्देश दिया है।
इससे पूर्व वकीलों की हड़ताल के बावजूद तोमर की ओर से पेश अधिवक्ता हर्षित जैन ने तर्क रखा कि मामले में सभी साक्ष्य दस्तावेजी है और सभी दस्तावेज जांच एजेंसी के पास है।
ऐसे में उनका मुवक्किल किसी भी प्रकार से साक्ष्यों को नष्ट करने व गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि दस्तावेज की जांच व उसका अध्ययन करने की एक लंबी प्रक्रिया है।
ऐसे में तोमर को अनिश्चिकालीन अवधि तक जेल में रखने का औचित्य नहीं है। वहीं, सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने जमानत पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जांच अभी विचाराधीन है और आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा तोमर ने जिन विश्वविद्यालय से एलएलबी व बीएससी कोर्स करने का तर्क रखा था वहां से बरामद दस्तावेज का अध्ययन करना है। ऐसे में जमानत न दी जाए। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत मंजूर कर ली।
साकेत अदालत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने तोमर को 50 हजार रुपये के व्यक्तिगत मुचलके व एक अन्य जमानती पेश करने पर जमानत दी है।
अदालत ने तोमर को बिना अदालत की इजाजत दिल्ली से बाहर जाने पर रोक लगाते हुए उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों से संपर्क न करने का भी निर्देश दिया है।
इससे पूर्व वकीलों की हड़ताल के बावजूद तोमर की ओर से पेश अधिवक्ता हर्षित जैन ने तर्क रखा कि मामले में सभी साक्ष्य दस्तावेजी है और सभी दस्तावेज जांच एजेंसी के पास है।
ऐसे में उनका मुवक्किल किसी भी प्रकार से साक्ष्यों को नष्ट करने व गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि दस्तावेज की जांच व उसका अध्ययन करने की एक लंबी प्रक्रिया है।
ऐसे में तोमर को अनिश्चिकालीन अवधि तक जेल में रखने का औचित्य नहीं है। वहीं, सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने जमानत पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जांच अभी विचाराधीन है और आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा तोमर ने जिन विश्वविद्यालय से एलएलबी व बीएससी कोर्स करने का तर्क रखा था वहां से बरामद दस्तावेज का अध्ययन करना है। ऐसे में जमानत न दी जाए। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत मंजूर कर ली।