विदेशी नागरिकों के मेडिकल ग्राउंड पर वीजा एक्सटेंशन के मामलों में यकायक इजाफा हुआ है। ऐसे नागरिकों को जीएमसी से स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। जिनके आधार पर ही विदेश पंजीकरण कार्यालय से वीजा को एक्सटेंशन दिया जाता है।
विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के नियमों के तहत किसी भी अस्पताल में इंडोर में भर्ती होने वाले विदेशी मेहमान को आनलाइन करने के बाद ही मेडिकल प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। लेकिन जीएमसी में ओपीडी में ही ऐसे प्रमाणपत्र जारी होने से कई सवाल उठ रहे हैं।
इस मामले में विदेश पंजीकरण कार्यालय ने भी आपत्ति जताई है। सूत्रों के अनुसार जीएमसी में आए दिन वीजा एक्सटेंशन के लिए स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लेने को विदेशी नागरिक पहुंच रहे हैं।
इनमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के ज्यादातर नागरिक शामिल हैं। 26/11 आतंकी हमले के बाद देशभर में विदेशी नागरिकों पर ज्यादा नजर रखी जा रही है।
नियमों के तहत ऐसे नागरिक जहां ठहरते हैं, वह घर भी आनलाइन होना चाहिए, ताकि सर्विलांस से उनकी गतिविधियों पर पूरी नजर रखी जा सके। स्वास्थ्य के मामले में विदेशी नागरिक स्वास्थ्य जांच के लिए किसी भी अस्पताल में जा सकते हैं।
लेकिन बशर्ते वीजा एक्सटेंशन के मामले में उन्हें आनलाइन (फार्म सी भरने के साथ) होने के बाद ही प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। रियासत में पाकिस्तान से पुंछ स्थित चक्का दा बाग और उड़ी स्थित कमान पोस्ट के रास्ते सीमा पार से बड़ी संख्या में दोनों ओर से नागरिकों की आवाजाही होती है।
इसमें वीजा की निर्धारित समय सीमा के तहत ही पाक नागरिक भारत में रह सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे मामलों में एक्सटेंशन के लिए वीजा समय अवधि खत्म होने के ठीक एक दिन पूर्व ही कई विदेशी नागरिक स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के लिए जीएमसी पहुंच रहे हैं और उसी दिन प्रमाणपत्र मिलने के बाद एक� माह तक उनका एक्सटेंशन बढ़ा दिया जाता है।
सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें विदेशी नागरिक को पीठ का दर्द तक बताकर एक माह बेड रेस्ट दिखा दिया गया है। इस साल अब तक 25 से अधिक मामलों में एक्सटेंशन दी जा चुकी है।
जबकि पिछले साल इक्का दुक्का मामले ही थे। आनलाइन के मामले में जीएमसी और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ही आनलाइन किए गए हैं। जीएमसी के प्रिंसिपल डा. घनश्याम देव गुप्ता का कहना है कि अस्पताल में विदेशी नागरिकों के स्वास्थ्य जांच में आनलाइन की सुविधा है।
लेकिन अगर इंडोर में भर्ती होने के बजाय सीधे ओपीडी से ही प्रमाणपत्र जारी हो रहे हैं तो इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। मामले की जांच करवाई जाएगी।
विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के नियमों के तहत किसी भी अस्पताल में इंडोर में भर्ती होने वाले विदेशी मेहमान को आनलाइन करने के बाद ही मेडिकल प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। लेकिन जीएमसी में ओपीडी में ही ऐसे प्रमाणपत्र जारी होने से कई सवाल उठ रहे हैं।
इस मामले में विदेश पंजीकरण कार्यालय ने भी आपत्ति जताई है। सूत्रों के अनुसार जीएमसी में आए दिन वीजा एक्सटेंशन के लिए स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लेने को विदेशी नागरिक पहुंच रहे हैं।
इनमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के ज्यादातर नागरिक शामिल हैं। 26/11 आतंकी हमले के बाद देशभर में विदेशी नागरिकों पर ज्यादा नजर रखी जा रही है।
नियमों के तहत ऐसे नागरिक जहां ठहरते हैं, वह घर भी आनलाइन होना चाहिए, ताकि सर्विलांस से उनकी गतिविधियों पर पूरी नजर रखी जा सके। स्वास्थ्य के मामले में विदेशी नागरिक स्वास्थ्य जांच के लिए किसी भी अस्पताल में जा सकते हैं।
लेकिन बशर्ते वीजा एक्सटेंशन के मामले में उन्हें आनलाइन (फार्म सी भरने के साथ) होने के बाद ही प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। रियासत में पाकिस्तान से पुंछ स्थित चक्का दा बाग और उड़ी स्थित कमान पोस्ट के रास्ते सीमा पार से बड़ी संख्या में दोनों ओर से नागरिकों की आवाजाही होती है।
इसमें वीजा की निर्धारित समय सीमा के तहत ही पाक नागरिक भारत में रह सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे मामलों में एक्सटेंशन के लिए वीजा समय अवधि खत्म होने के ठीक एक दिन पूर्व ही कई विदेशी नागरिक स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के लिए जीएमसी पहुंच रहे हैं और उसी दिन प्रमाणपत्र मिलने के बाद एक� माह तक उनका एक्सटेंशन बढ़ा दिया जाता है।
सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें विदेशी नागरिक को पीठ का दर्द तक बताकर एक माह बेड रेस्ट दिखा दिया गया है। इस साल अब तक 25 से अधिक मामलों में एक्सटेंशन दी जा चुकी है।
जबकि पिछले साल इक्का दुक्का मामले ही थे। आनलाइन के मामले में जीएमसी और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ही आनलाइन किए गए हैं। जीएमसी के प्रिंसिपल डा. घनश्याम देव गुप्ता का कहना है कि अस्पताल में विदेशी नागरिकों के स्वास्थ्य जांच में आनलाइन की सुविधा है।
लेकिन अगर इंडोर में भर्ती होने के बजाय सीधे ओपीडी से ही प्रमाणपत्र जारी हो रहे हैं तो इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। मामले की जांच करवाई जाएगी।