तिहाड़ जेल से सजा काट कर बाहर निकलने के बाद भी जीवन-यापन आसान नहीं होता। भले ही कैदियों के पुनर्वास के लिए कैद के दौरान कैदियों को शिक्षित करने और अपने पैर पर खड़े करने के लिए कई तरह के व्यावसायिक ज्ञान दिए जा रहे हैं।
जेल से सजा काट कर बाहर निकले कैदियों से मीडिया की मुलाकात कराने के लिए जेल-प्रशासन की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कैदी मीडिया से बातचीत जरूर कर रहे थे, लेकिन ज्यादातर कैदी नाम और चेहरा सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं लाना चाहते थे। एक कैदी ने बताया कि वह 2013 में लूट और डकैती के मामले में तिहाड़ जेल बंद था, इसी दौरान उसने जेल से ही बीए की परीक्षा पास की।
जेल से निकलने के बाद अपना भरण-पोषण करने के लिए कोचिंग सेंटर खोला, जिसमें करीब 70 से 80 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। उसने बताया कि वह नहीं चाहता कि गरीबी की वजह से कोई लूटपाट करे और जेल के अंदर पहुंच जाए।
इसी वजह से वह वैसे स्टूडेंट्स से कोई शुल्क नहीं लेता जो गरीब हैं। इसके अलावा किसी ने म्यूजिक सीखा है तो किसी ने कुछ और ज्ञान हासिल किया है।
एक कैदी ने बताया कि वह जेल से बाहर आ चुका है। लेकिन अब भी पुलिस और कानून उनका पीछा नहीं छोड़ते। कोई भी पर्व-त्योहार आता है पुलिस उन्हें थाने बुला लेती है।
कई बार किसी वारदात के बाद भी पुलिस पूछताछ करने के लिए घर पहुंच जाती है। ऐसी स्थिति में आस-पड़ोस के लोगों से आमना-सामना करने में शर्म महसूस होती है। जेल से छूटने के बाद कुछ महिलाएं भी पहुंची थीं। �
जेल डीजी आलोक वर्मा ने कहा कि कैदियों के पुनर्वास के लिए तिहाड़ में कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यहां से पढ़ाई पूरी करने और सजा पूरी करने के बाद कई लोगों को अच्छी कंपनी में नौकरी मिली है।
जेल से सजा काट कर बाहर निकले कैदियों से मीडिया की मुलाकात कराने के लिए जेल-प्रशासन की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कैदी मीडिया से बातचीत जरूर कर रहे थे, लेकिन ज्यादातर कैदी नाम और चेहरा सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं लाना चाहते थे। एक कैदी ने बताया कि वह 2013 में लूट और डकैती के मामले में तिहाड़ जेल बंद था, इसी दौरान उसने जेल से ही बीए की परीक्षा पास की।
जेल से निकलने के बाद अपना भरण-पोषण करने के लिए कोचिंग सेंटर खोला, जिसमें करीब 70 से 80 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। उसने बताया कि वह नहीं चाहता कि गरीबी की वजह से कोई लूटपाट करे और जेल के अंदर पहुंच जाए।
इसी वजह से वह वैसे स्टूडेंट्स से कोई शुल्क नहीं लेता जो गरीब हैं। इसके अलावा किसी ने म्यूजिक सीखा है तो किसी ने कुछ और ज्ञान हासिल किया है।
एक कैदी ने बताया कि वह जेल से बाहर आ चुका है। लेकिन अब भी पुलिस और कानून उनका पीछा नहीं छोड़ते। कोई भी पर्व-त्योहार आता है पुलिस उन्हें थाने बुला लेती है।
कई बार किसी वारदात के बाद भी पुलिस पूछताछ करने के लिए घर पहुंच जाती है। ऐसी स्थिति में आस-पड़ोस के लोगों से आमना-सामना करने में शर्म महसूस होती है। जेल से छूटने के बाद कुछ महिलाएं भी पहुंची थीं। �
जेल डीजी आलोक वर्मा ने कहा कि कैदियों के पुनर्वास के लिए तिहाड़ में कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यहां से पढ़ाई पूरी करने और सजा पूरी करने के बाद कई लोगों को अच्छी कंपनी में नौकरी मिली है।