मोगा में ऑर्बिट बस में छेड़छाड़ की घटना में लड़की की मौत के मामले में बस अड्डों पर बादल परिवार की कंपनियों की बसों को अधिक समय मिलने के उठे मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुखबीर बादल व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
उधर, मोगा कांड की जांच करने से सीबीआई ने इनकार करते हुए कहा है कि मामला अंतरराज्यीय महत्व का नहीं है।
एमिकस क्यूरी एडवोकेट एचसी अरोड़ा एवं अन्य वकील जगदीप सिंह बैंस ने अर्जी दी थी कि बादल परिवार की कंपनियों की बसों को अड्डों पर अधिक समय मिलता है। सरकारी बसों को इसकी तुलना में कम समय मिलता है।
ऐसे में ऑर्बिट समेत बादल परिवार की अन्य बस कंपनियां लगातार लाभ कमा रही हैं, जबकि पीआरटीसी को अपने कर्मियों को पेंशन देने तक के लाले पड़े हैं। यह भी कहा था कि इन बस कंपनियों को बादल परिवार के सत्ता में होने का लाभ मिल रहा है।
वीरवार को सुनवाई के दौरान यह तथ्य भी सामने लाया गया कि ट्रांसपोर्ट सचिव ने जवाब में माना है कि बस अड्डों पर समयसारिणी निजी ऑप्रेटर तय करते हैं और अधिक बसों वाली कंपनियों की मर्जी केअनुसार ही समयसारिणी बनती है। आरटीए केवल इसे अनुमति देते हैं।
हाईकोर्ट ने इस अर्जी पर नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। उधर, मोगा कांड की जांच सीबीआई मांग को लेकर जारी नोटिस पर सीबीआई के वकील सुखदीप सिंह संधू ने बेंच को बताया कि यह मामला अंतरराज्यीय महत्व का नहीं है। सीबीआई के पास अन्य बड़े मामलों की जांच के कारण ज्यादा स्टाफ नहीं है।
मामले में जिला अदालत में दोष पत्र दाखिल किया जा चुका है। मुख्य मामले में सरकार ने कहा कि पीड़ित परिवार को केंद्र से एससी पीड़ितों को मिलती राहत राशि से चार लाख रुपये दिए गए। बाकी राशि पर पूछेे सवाल पर सरकारी वकील के पास कोई जवाब नहीं था।
उधर, मोगा कांड की जांच करने से सीबीआई ने इनकार करते हुए कहा है कि मामला अंतरराज्यीय महत्व का नहीं है।
एमिकस क्यूरी एडवोकेट एचसी अरोड़ा एवं अन्य वकील जगदीप सिंह बैंस ने अर्जी दी थी कि बादल परिवार की कंपनियों की बसों को अड्डों पर अधिक समय मिलता है। सरकारी बसों को इसकी तुलना में कम समय मिलता है।
ऐसे में ऑर्बिट समेत बादल परिवार की अन्य बस कंपनियां लगातार लाभ कमा रही हैं, जबकि पीआरटीसी को अपने कर्मियों को पेंशन देने तक के लाले पड़े हैं। यह भी कहा था कि इन बस कंपनियों को बादल परिवार के सत्ता में होने का लाभ मिल रहा है।
वीरवार को सुनवाई के दौरान यह तथ्य भी सामने लाया गया कि ट्रांसपोर्ट सचिव ने जवाब में माना है कि बस अड्डों पर समयसारिणी निजी ऑप्रेटर तय करते हैं और अधिक बसों वाली कंपनियों की मर्जी केअनुसार ही समयसारिणी बनती है। आरटीए केवल इसे अनुमति देते हैं।
हाईकोर्ट ने इस अर्जी पर नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। उधर, मोगा कांड की जांच सीबीआई मांग को लेकर जारी नोटिस पर सीबीआई के वकील सुखदीप सिंह संधू ने बेंच को बताया कि यह मामला अंतरराज्यीय महत्व का नहीं है। सीबीआई के पास अन्य बड़े मामलों की जांच के कारण ज्यादा स्टाफ नहीं है।
मामले में जिला अदालत में दोष पत्र दाखिल किया जा चुका है। मुख्य मामले में सरकार ने कहा कि पीड़ित परिवार को केंद्र से एससी पीड़ितों को मिलती राहत राशि से चार लाख रुपये दिए गए। बाकी राशि पर पूछेे सवाल पर सरकारी वकील के पास कोई जवाब नहीं था।