57 साल पहले 1958 में अकबर इलियास बनाम आमना के जेवरों के बंटवारे के मुकदमे की सुनवाई करते हुए लेडीज बेंच मजिस्ट्रेट ने 25 तोला सोना और 80 तोला चांदी कोषागार के डबल लॉक में रखवा दिया था। अब अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन की कोर्ट ने तीसरी पीढ़ी में बंटवारे के लिए सोने और चांदी की अनुमानित कीमत पता कर बताने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने मुख्य कोषाधिकारी को आदेश दिया कि डबल लॉक खोलकर सोने और चांदी की कीमत का आकलन कराकर अवगत कराया जाए। संबंधित पक्ष के वकील और कीमत के आकलन के लिए सर्राफ और अमीन कोषागार पहुंचे तो खुलासा हुआ कि डबल लॉक की चाभी ही गायब है, इसलिए मुख्य कोषाधिकारी ने कोर्ट से डबल लॉक का ताला तोड़ने की अनुमति मांगी है। इस पर कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करेगी।
केस-दो।
17 साल पहले 1998 में प्रभारी निरीक्षक थाना फीलखाना ने कोषागार के डबल लॉक में करीब डेढ़ करोड़ रुपये, सोने-चांदी के बर्तन और कुछ जेवर रखवाए थे। ये रुपये और जेवर शहर के नामी बदमाश संजय ओझा के घर बेड के नीचे से बरामद किए गए थे
वह इन नोटों के ऊपर अपनी पत्नी को सुलाता था। संजय ओझा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। उस वक्त तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट मो. मुस्तफा को नोट गिनवाने में काफी समय लगा था। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये और जेवर कोषागार के डबल लॉक में कैद हैं।
कानपुर में ये दो मामले तो बानगी भर हैं। कोषागार का डबल लॉक कुबेर के खजाने की तरह है। डबल लॉक में कोर्ट मजिस्ट्रेट-1 ने दो मार्च 1956 और 15 जुलाई 1960 को काफी संख्या में सिक्के रखवाए थे। 1998 में एक अटैची सोना रखवाया गया।
बड़ी मात्रा में रखवाए गए हीरे कुछ माह पहले ही डबल लॉक से छुड़वाए गए हैं। ये हीरे कोर्ट के आदेश पर एक व्यापारी के सुपुर्द किए गए थे। थोड़ा चौंकाने वाली बात यह है कि पांच दिसंबर 1964 में राज्य सरकार बनाम केस की सुनवाई करते हुए एक्साइज मजिस्ट्रेट ने लक्ष्मी नारायण से बरामद एक डब्बा अफीम डबल लॉक में रखवाई थी।
मुकदमे का निस्तारण न होने से यह अफीम डबल लॉक में ही रखी है। 1968 से लेकर 1970 के बीच करीब 25 मुकदमों की अफीम डबल लॉक में रखी है। इसका कारण बताया गया है कि पहले केस प्रापर्टी कोषागार में ही रखवाई जाती थीं। अब केस प्रॉपर्टी थाने के मालखानों में रखवाई जाती हैं।
कोषागार के सूत्रों के मुताबिक इस समय डबल लॉक में करीब तीन सौ मुकदमों की केस प्रॉपर्टी रखी है। कुछ केस प्रॉपर्टी बक्सों में हैं। इन बक्सों पर खड़िया से केस के बारे में लिखा गया था। सालों पहले खड़िया से लिखी हर बात अभी भी स्पष्ट पढ़ी जा सकती है।
मुख्य कोषाधिकारी शिव सिंह ने बताया कि डबल लॉक में करीब तीन सौ केस से संबंधित प्रॉपर्टी है। इसमें सोना, चांदी, पुराने सिक्के और रुपये हैं। समय-समय पर कोर्ट के आदेश पर केस प्रापर्टी का निस्तारण किया जाता रहता है। डबल लॉक में रखे गए सामान के कागजात भी अलग डबल लॉक में रखे जाते हैं। डबल लॉक से जुड़ी हर जानकारी गोपनीय होती है। इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बता सकता।
कोर्ट ने मुख्य कोषाधिकारी को आदेश दिया कि डबल लॉक खोलकर सोने और चांदी की कीमत का आकलन कराकर अवगत कराया जाए। संबंधित पक्ष के वकील और कीमत के आकलन के लिए सर्राफ और अमीन कोषागार पहुंचे तो खुलासा हुआ कि डबल लॉक की चाभी ही गायब है, इसलिए मुख्य कोषाधिकारी ने कोर्ट से डबल लॉक का ताला तोड़ने की अनुमति मांगी है। इस पर कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करेगी।
केस-दो।
17 साल पहले 1998 में प्रभारी निरीक्षक थाना फीलखाना ने कोषागार के डबल लॉक में करीब डेढ़ करोड़ रुपये, सोने-चांदी के बर्तन और कुछ जेवर रखवाए थे। ये रुपये और जेवर शहर के नामी बदमाश संजय ओझा के घर बेड के नीचे से बरामद किए गए थे
वह इन नोटों के ऊपर अपनी पत्नी को सुलाता था। संजय ओझा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। उस वक्त तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट मो. मुस्तफा को नोट गिनवाने में काफी समय लगा था। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये और जेवर कोषागार के डबल लॉक में कैद हैं।
कानपुर में ये दो मामले तो बानगी भर हैं। कोषागार का डबल लॉक कुबेर के खजाने की तरह है। डबल लॉक में कोर्ट मजिस्ट्रेट-1 ने दो मार्च 1956 और 15 जुलाई 1960 को काफी संख्या में सिक्के रखवाए थे। 1998 में एक अटैची सोना रखवाया गया।
बड़ी मात्रा में रखवाए गए हीरे कुछ माह पहले ही डबल लॉक से छुड़वाए गए हैं। ये हीरे कोर्ट के आदेश पर एक व्यापारी के सुपुर्द किए गए थे। थोड़ा चौंकाने वाली बात यह है कि पांच दिसंबर 1964 में राज्य सरकार बनाम केस की सुनवाई करते हुए एक्साइज मजिस्ट्रेट ने लक्ष्मी नारायण से बरामद एक डब्बा अफीम डबल लॉक में रखवाई थी।
मुकदमे का निस्तारण न होने से यह अफीम डबल लॉक में ही रखी है। 1968 से लेकर 1970 के बीच करीब 25 मुकदमों की अफीम डबल लॉक में रखी है। इसका कारण बताया गया है कि पहले केस प्रापर्टी कोषागार में ही रखवाई जाती थीं। अब केस प्रॉपर्टी थाने के मालखानों में रखवाई जाती हैं।
कोषागार के सूत्रों के मुताबिक इस समय डबल लॉक में करीब तीन सौ मुकदमों की केस प्रॉपर्टी रखी है। कुछ केस प्रॉपर्टी बक्सों में हैं। इन बक्सों पर खड़िया से केस के बारे में लिखा गया था। सालों पहले खड़िया से लिखी हर बात अभी भी स्पष्ट पढ़ी जा सकती है।
मुख्य कोषाधिकारी शिव सिंह ने बताया कि डबल लॉक में करीब तीन सौ केस से संबंधित प्रॉपर्टी है। इसमें सोना, चांदी, पुराने सिक्के और रुपये हैं। समय-समय पर कोर्ट के आदेश पर केस प्रापर्टी का निस्तारण किया जाता रहता है। डबल लॉक में रखे गए सामान के कागजात भी अलग डबल लॉक में रखे जाते हैं। डबल लॉक से जुड़ी हर जानकारी गोपनीय होती है। इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बता सकता।