वो पहले भी तीन पहिए की गाड़ी चलाते थे, जो वो अब चलाएंगे वो भी तीन पहिए की ही होगी। बस अंतर इतना है कि वो जो पहले चलाते था वो ऑटो थी, लेकिन अब वो इंडिगो का विमान होगा।
ये कहानी नहीं बल्कि श्रीकांत पंतवणे की जिंदगी की हकीकत है। जब श्रीकांत अपनी पहली उड़ान के लिए विमान पर गए तो उनके लिए इंडिगो की ऑफिसियल ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि हमें श्रीकांत की जिंदगी से प्रेरणा लेनी चाहिए। एक ऑटो ड्राइवर अब पायलट हो चुका है।
श्रीकांत महाराष्ट्र के नागपुर में जन्में और पले बढ़े। उनके पिता एक सिक्यूरिटी गार्ड थे। उन्होंने पढ़ने के साथ ऑटो चलाने का फैसला किया और वो एक स्कूल में डिलीवरी ब्वाय का काम करते थे।
एक बार उन्हें एयरपोर्ट पर डिलीवरी करनी थी, जहां उन्हें एक स्कॉलरशिप प्रोग्राम के बारे में पता चला जो डीजीसीए के एवियेशन प्रोग्राम के अंतर्गत चल रहा था। इस स्कॉलरशिप के बार में उन्होंने पास के ही चाय वाले से पूछा।
फिर उन्होंने उस स्कॉलरशिप के तहत मध्य प्रदेश के फ्लाइंग स्कूल में दाखिला लिया और वहां हर परीक्षा में टॉप करते रहे। लेकिन अभी भी श्रीकांत को अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए कुछ वक्त का इंतजार करना पड़ा।
जब उन्हें कॉमर्शियल पाइलट का लाइसेंस मिला तो उन्हें कुछ दिनों तक कॉरपोरेट एक्जीक्यूटिव के पद पर काम करना पड़ा, लेकिन उनके इंतजार का फल उन्हें मीठा मिला जब उन्हें इंडिगों के बजट करियर फ्लाइट के लिए चुन लिया गया। श्रीकांत अब इंडिगो के को-पाइलट हैं।
ये कहानी नहीं बल्कि श्रीकांत पंतवणे की जिंदगी की हकीकत है। जब श्रीकांत अपनी पहली उड़ान के लिए विमान पर गए तो उनके लिए इंडिगो की ऑफिसियल ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि हमें श्रीकांत की जिंदगी से प्रेरणा लेनी चाहिए। एक ऑटो ड्राइवर अब पायलट हो चुका है।
श्रीकांत महाराष्ट्र के नागपुर में जन्में और पले बढ़े। उनके पिता एक सिक्यूरिटी गार्ड थे। उन्होंने पढ़ने के साथ ऑटो चलाने का फैसला किया और वो एक स्कूल में डिलीवरी ब्वाय का काम करते थे।
एक बार उन्हें एयरपोर्ट पर डिलीवरी करनी थी, जहां उन्हें एक स्कॉलरशिप प्रोग्राम के बारे में पता चला जो डीजीसीए के एवियेशन प्रोग्राम के अंतर्गत चल रहा था। इस स्कॉलरशिप के बार में उन्होंने पास के ही चाय वाले से पूछा।
फिर उन्होंने उस स्कॉलरशिप के तहत मध्य प्रदेश के फ्लाइंग स्कूल में दाखिला लिया और वहां हर परीक्षा में टॉप करते रहे। लेकिन अभी भी श्रीकांत को अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए कुछ वक्त का इंतजार करना पड़ा।
जब उन्हें कॉमर्शियल पाइलट का लाइसेंस मिला तो उन्हें कुछ दिनों तक कॉरपोरेट एक्जीक्यूटिव के पद पर काम करना पड़ा, लेकिन उनके इंतजार का फल उन्हें मीठा मिला जब उन्हें इंडिगों के बजट करियर फ्लाइट के लिए चुन लिया गया। श्रीकांत अब इंडिगो के को-पाइलट हैं।