दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम ने मीटर पिलर बॉक्स घोटाले में अपने 38 अधिकारियों के खिलाफ आरोप-पत्र जारी किए हैं। इनमें दो चीफ इंजीनियर, चार अधीक्षक अभियंता, सात कार्यकारी अभियंता, छह उपमंडल अधिकारी (बिजली), दो वित्त सलाहकार, एक वरिष्ठ लेखा अधिकारी, एक लेखा अधिकारी, सात कनिष्ठ अभियंता, सात मंडल लेखाकार और एक सेक्शन अधिकारी शामिल है।
इन सभी अधिकारियों को काम में लापरवाही, ठेकेदारों को अनुचित लाभ देने और निगम को घाटा पहुंचाने का उत्तरदायी मानते हुए आरोप-पत्र जारी किए गए हैं। इन अधिकारियों को आरोप-पत्र जारी करने से पहले बोर्ड-ऑफ-डायरेक्टर्स ने कानूनी अनुशंसा ली है। इस मामले की स्टेट विजिलेंस अलग से जांच कर रही है।
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार वर्मा ने बताया कि दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम ने अप्रैल 2013 में मीटर पिलर बॉक्स योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत उपभोक्ताओं के मीटरों को उनके परिसरों से बाहर मीटर पिलर बॉक्स में लगाया जाना था।
इसका उद्देश्य बिजली चोरी रोकने के साथ वितरण ट्रांसफार्मर पर लोड संतुलन बनाना था। इसके लिए निगम प्रबंधन ने शुरू में 15 फर्मों को सूचीबद्ध किया था, लेकिन बाद में बढ़ाकर 21 फर्मों को सूचीबद्ध कर दिया। निगम ने स्कीम के तहत सभी मदों का अधिकतम यूनिट रेट भी मंजूर किया था।
उन्होंने बताया कि फरीदाबाद सर्कल में इसी मामले की जांच की त्रुटियों के आधार पर पता लगा कि अन्य सर्कलों में भी ऐसी कुछ त्रुटियां और अनियमितताएं पाई जा सकती हैं।
इसी आधार पर अगस्त 2014 में प्रधान सचिव, बिजली विभाग, हरियाणा की स्वीकृति और हरियाणा बिजली निगमों के निदेशक विजिलेंस की अनुशंसा पर दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के मुख्य अभियंता दलीप सिंह व अधीक्षक अभियंता आरके सोढा के अधीन एक दस सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की प्रारंभिक जांच में इन अधिकारियों को कुछ मामलों में दोषी पाया गया।
इन सभी अधिकारियों को काम में लापरवाही, ठेकेदारों को अनुचित लाभ देने और निगम को घाटा पहुंचाने का उत्तरदायी मानते हुए आरोप-पत्र जारी किए गए हैं। इन अधिकारियों को आरोप-पत्र जारी करने से पहले बोर्ड-ऑफ-डायरेक्टर्स ने कानूनी अनुशंसा ली है। इस मामले की स्टेट विजिलेंस अलग से जांच कर रही है।
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक अरुण कुमार वर्मा ने बताया कि दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम ने अप्रैल 2013 में मीटर पिलर बॉक्स योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत उपभोक्ताओं के मीटरों को उनके परिसरों से बाहर मीटर पिलर बॉक्स में लगाया जाना था।
इसका उद्देश्य बिजली चोरी रोकने के साथ वितरण ट्रांसफार्मर पर लोड संतुलन बनाना था। इसके लिए निगम प्रबंधन ने शुरू में 15 फर्मों को सूचीबद्ध किया था, लेकिन बाद में बढ़ाकर 21 फर्मों को सूचीबद्ध कर दिया। निगम ने स्कीम के तहत सभी मदों का अधिकतम यूनिट रेट भी मंजूर किया था।
उन्होंने बताया कि फरीदाबाद सर्कल में इसी मामले की जांच की त्रुटियों के आधार पर पता लगा कि अन्य सर्कलों में भी ऐसी कुछ त्रुटियां और अनियमितताएं पाई जा सकती हैं।
इसी आधार पर अगस्त 2014 में प्रधान सचिव, बिजली विभाग, हरियाणा की स्वीकृति और हरियाणा बिजली निगमों के निदेशक विजिलेंस की अनुशंसा पर दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के मुख्य अभियंता दलीप सिंह व अधीक्षक अभियंता आरके सोढा के अधीन एक दस सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की प्रारंभिक जांच में इन अधिकारियों को कुछ मामलों में दोषी पाया गया।