दूध, दही का खाणा, यह मेरा हरियाणा की गौरवगाथा की इस कहावत पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। भैंस और गाय का दूध भी अब शुद्ध नहीं है, जो सेहत को बिगाड़ सकता है और आगामी पीढ़ी के लिए खतरा साबित हो सकता है।
यह खुलासा करनाल स्थित लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय लैब में दूध के सैंपलों की जांच से हुआ है। हरियाणा, पंजाब और उत्तरप्रदेश से 2199 सैंपल टेस्टिंग के लिए आए। इनमें से 2093 सैंपल फेल पाए गए हैं। 95 प्रतिशत दूध के सैंपल फेल होने से अब दूध के पौष्टिक होने पर भी सवाल उठने लगे हैं।
वैज्ञानिकों का तर्क है कि पशुओं कैमिकल युक्त चारा खाने के बाद जो दूध पशु भैंस� या गायें देती हैं, वह एक किस्म से जहरीला हो जाता है जो हमारी सेहत बनाने की बजाये हमारा स्वास्थ्य खराब करेगा। इसके बाद आने वाले समय में हमारे बच्चे कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं। आज जरूरत है आम पशुपालकों को इन सब खतरनाक चीजों की जानकारी देने की।
कई तरह के खतरनाक बैक्टीरिया: लैब के वैज्ञानिकों का दावा है कि आमतौर पर जो दूध मार्केट में आम लोगों तक पहुंचता है उसमें कई तरह के बैक्टीरिया शामिल होते हैं। जोकि किसानों द्वारा या पशु पालकों द्वारा अपने पशुओं को जो चारा और दवाईयां दी जाती हैं, उसके द्वारा पशुओं में कई बीमारियां आ जाती हैं, जैसे की टीबी बैक्टीरिया, ट्यूबो क्लासिक्स बैक्टीरिया आने से यह सेहत को भारी नुकसान पहुंचाते हैं और कई तरह की बीमारियां इंसानों को लग जाती हैं। इससे इंसानों की अपेक्षा बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह ज्यादा खतरनाक होती है।
लैब इंचार्ज डॉ. अनीता गांगुली बताती हैं कि आजकल पशुपालक ज्यादा दूध लेने के लिए पशुओं को कई तरह की दवाइयां दूध बढ़ाने के लिए देते हैं।
दवाइयां बैन होने के बावजूद भी ओक्शि टॉक्सिन जैसे इंजेक्शन दूध उतारने के लिए वह अपने पशुओं को देते हैं। इसके अलावा और भी कैमिकल युक्त खाद यूरिया युक्त चारा पशुओं को लगातार खिलाया जा रहा है, जो हमारी और आपकी खुशहाल सेहत को बिगाड़ रहा है।
�
एक साल के आंकड़े खोल रहे पोल
लैब के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणबीर बिसला ने बताया कि लैब में प्रदेश सहित आसपास के राज्यों से दूध के सैंपल पशुपालक व लोग टेस्टिंग के लिए लेकर आते हैं। इस बार एक जुलाई 2014 से जून 2015 तक की गई टेस्टिंग से यह आंकड़ा सामने आया है।
आंकड़ों से जहरीला दूध होने का सच सामने आया है। ये सैंपल तीन प्रदेश पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हैं। किसानों को अब पशुओं पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है, नहीं आने वाली पीढ़ी के लिए दूध लाभदायक नहीं होगा।
यह खुलासा करनाल स्थित लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय लैब में दूध के सैंपलों की जांच से हुआ है। हरियाणा, पंजाब और उत्तरप्रदेश से 2199 सैंपल टेस्टिंग के लिए आए। इनमें से 2093 सैंपल फेल पाए गए हैं। 95 प्रतिशत दूध के सैंपल फेल होने से अब दूध के पौष्टिक होने पर भी सवाल उठने लगे हैं।
वैज्ञानिकों का तर्क है कि पशुओं कैमिकल युक्त चारा खाने के बाद जो दूध पशु भैंस� या गायें देती हैं, वह एक किस्म से जहरीला हो जाता है जो हमारी सेहत बनाने की बजाये हमारा स्वास्थ्य खराब करेगा। इसके बाद आने वाले समय में हमारे बच्चे कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं। आज जरूरत है आम पशुपालकों को इन सब खतरनाक चीजों की जानकारी देने की।
कई तरह के खतरनाक बैक्टीरिया: लैब के वैज्ञानिकों का दावा है कि आमतौर पर जो दूध मार्केट में आम लोगों तक पहुंचता है उसमें कई तरह के बैक्टीरिया शामिल होते हैं। जोकि किसानों द्वारा या पशु पालकों द्वारा अपने पशुओं को जो चारा और दवाईयां दी जाती हैं, उसके द्वारा पशुओं में कई बीमारियां आ जाती हैं, जैसे की टीबी बैक्टीरिया, ट्यूबो क्लासिक्स बैक्टीरिया आने से यह सेहत को भारी नुकसान पहुंचाते हैं और कई तरह की बीमारियां इंसानों को लग जाती हैं। इससे इंसानों की अपेक्षा बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह ज्यादा खतरनाक होती है।
लैब इंचार्ज डॉ. अनीता गांगुली बताती हैं कि आजकल पशुपालक ज्यादा दूध लेने के लिए पशुओं को कई तरह की दवाइयां दूध बढ़ाने के लिए देते हैं।
दवाइयां बैन होने के बावजूद भी ओक्शि टॉक्सिन जैसे इंजेक्शन दूध उतारने के लिए वह अपने पशुओं को देते हैं। इसके अलावा और भी कैमिकल युक्त खाद यूरिया युक्त चारा पशुओं को लगातार खिलाया जा रहा है, जो हमारी और आपकी खुशहाल सेहत को बिगाड़ रहा है।
�
एक साल के आंकड़े खोल रहे पोल
लैब के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणबीर बिसला ने बताया कि लैब में प्रदेश सहित आसपास के राज्यों से दूध के सैंपल पशुपालक व लोग टेस्टिंग के लिए लेकर आते हैं। इस बार एक जुलाई 2014 से जून 2015 तक की गई टेस्टिंग से यह आंकड़ा सामने आया है।
आंकड़ों से जहरीला दूध होने का सच सामने आया है। ये सैंपल तीन प्रदेश पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हैं। किसानों को अब पशुओं पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है, नहीं आने वाली पीढ़ी के लिए दूध लाभदायक नहीं होगा।