शताब्दी एक्सप्रेस में सफर के दौरान यात्री को दिए खाने में कांच निकलने पर रेलवे ने कांट्रैक्टर को दो लाख का जुर्माना किया है। साथ ही चेतावनी दी है कि दोबारा इस तरह की शिकायत मिली तो लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
खाने में निकले कांच के मामले की उत्तर रेलवे के उच्चाधिकारियों ने गहनता से जांच की। इसमें उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस के खानपान के कांट्रेक्टर को दोषी पाया। यात्रियों की शिकायत के बाद रेलवे ने कांट्रेक्टर के खिलाफ फैसला सुनाया है।
उत्तरी रेलवे के सीपीआरओ नीरज शर्मा ने बताया कि कांट्रैक्टर के लाइसेंस पर यह जुर्माना लगाया गया है। वहीं ट्रेन में खानपान की सेवा देने वाले मैनेजर को यह चेतावनी दी है कि वह अपने साथ अपना मेडिकल सर्टिफिकेट व आई कार्ड रखे। वहीं कांट्रैक्टर को जुर्माने के साथ यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि अपना लाइसेंस बचाना है तो रेल में खानपान की स्थिति ठीक करे।
गौरतलब है कि 20 जुलाई को ट्रेन नंबर 12046 शताब्दी एक्सप्रेस चंडीगढ़ से नई दिल्ली के लिए दो यात्री सफर कर रहे थे। दोपहर को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर दोनों यात्रियों ने लिखित शिकायत की। कोच-सी-4 में यात्रा करने वाली निभा केवल और कोच सी-5 में यात्रा करने वाले गौरव ने कांट्रैक्टर के कर्मचारी कपिल से शिकायत की।
इसके बाद रेलवे ऑफिशियल स्टाफ मोहित त्यागी को भी इसकी शिकायत की गई, लेकिन कांट्रैक्टर के स्टाफ ने दोनों यात्रियों को शिकायत पुस्तिका मुहैया नहीं करवाई। उन्होंने दोनों यात्रियों को कहा कि आप अपनी शिकायत ईमेल के जरिए क्वालिटी फूड इंस्पेक्टर नई दिल्ली से करें।
नई दिल्ली में उत्तर रेलवे के पीआरओ नीरज शर्मा ने बताया कि इस संबंध में शिकायत की जांच मार्क की गई। जांच रेलवे के उच्च अधिकारी ने की। उन्होंने बताया कि जांच के साथ अंबाला मंडल से शताब्दी में खाना उपलब्ध करने वाले कांट्रैक्टर की भी जांच की जाएगी।
इसके अतिरिक्त रेल में जो कांट्रैक्टर खाना उपलब्ध करवाते हैं। उन्हें रेलवे मुख्यालय बुलाया गया है। इससे पहले 2014 में शताब्दी में यात्रा करने वाले यात्रियों ने खानपान को लेकर कई शिकायतें दर्ज करवाई थीं। इस जांच पर यह कार्रवाई की गई।
खाने में निकले कांच के मामले की उत्तर रेलवे के उच्चाधिकारियों ने गहनता से जांच की। इसमें उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस के खानपान के कांट्रेक्टर को दोषी पाया। यात्रियों की शिकायत के बाद रेलवे ने कांट्रेक्टर के खिलाफ फैसला सुनाया है।
उत्तरी रेलवे के सीपीआरओ नीरज शर्मा ने बताया कि कांट्रैक्टर के लाइसेंस पर यह जुर्माना लगाया गया है। वहीं ट्रेन में खानपान की सेवा देने वाले मैनेजर को यह चेतावनी दी है कि वह अपने साथ अपना मेडिकल सर्टिफिकेट व आई कार्ड रखे। वहीं कांट्रैक्टर को जुर्माने के साथ यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि अपना लाइसेंस बचाना है तो रेल में खानपान की स्थिति ठीक करे।
गौरतलब है कि 20 जुलाई को ट्रेन नंबर 12046 शताब्दी एक्सप्रेस चंडीगढ़ से नई दिल्ली के लिए दो यात्री सफर कर रहे थे। दोपहर को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर दोनों यात्रियों ने लिखित शिकायत की। कोच-सी-4 में यात्रा करने वाली निभा केवल और कोच सी-5 में यात्रा करने वाले गौरव ने कांट्रैक्टर के कर्मचारी कपिल से शिकायत की।
इसके बाद रेलवे ऑफिशियल स्टाफ मोहित त्यागी को भी इसकी शिकायत की गई, लेकिन कांट्रैक्टर के स्टाफ ने दोनों यात्रियों को शिकायत पुस्तिका मुहैया नहीं करवाई। उन्होंने दोनों यात्रियों को कहा कि आप अपनी शिकायत ईमेल के जरिए क्वालिटी फूड इंस्पेक्टर नई दिल्ली से करें।
नई दिल्ली में उत्तर रेलवे के पीआरओ नीरज शर्मा ने बताया कि इस संबंध में शिकायत की जांच मार्क की गई। जांच रेलवे के उच्च अधिकारी ने की। उन्होंने बताया कि जांच के साथ अंबाला मंडल से शताब्दी में खाना उपलब्ध करने वाले कांट्रैक्टर की भी जांच की जाएगी।
इसके अतिरिक्त रेल में जो कांट्रैक्टर खाना उपलब्ध करवाते हैं। उन्हें रेलवे मुख्यालय बुलाया गया है। इससे पहले 2014 में शताब्दी में यात्रा करने वाले यात्रियों ने खानपान को लेकर कई शिकायतें दर्ज करवाई थीं। इस जांच पर यह कार्रवाई की गई।