ट्रैवल एजेंटों के चक्कर में फंस कर तीन महिलाएं मलयेशिया की जेल में पहुंच गईं। तीनों महिलाएं पंजाब की रहने वाली थीं। अकाली दल के हलका इंचार्ज बलवंत सिंह रामूवालिया ने एंबेसी से संपर्क कर उन्हें रिहा करवाया और पंजाब लाए। रामूवालिया की मौजूदगी में शुक्रवार को जालंधर के गांव मिट्ठेपुर निवासी सुरिंदर कौर ने आपबीती सुनाई।
सुरिंदर कौर ने बताया कि एजेंट के चलते उसका परिवार खत्म हो गया और घर गिरवी हो गया। जालंधर की एजेंट के जरिए वह पति निर्माण सिंह के साथ छह जनवरी-14 को मलयेशिया गई थीं। ढाई लाख रुपये देने पर उसका वर्क परमिट लगवाया गया था। मलयेशिया में उसके पति ने सिक्योरिटी गार्ड और उसने एक रेस्टोरेंट में काम करना शुरू कर दिया।
एक साल बाद उसका पति वापस पंजाब आ गया। पर एजेंट ने वीजा खत्म होने के एक दिन पहले पुलिस को शिकायत कर दी। जिसके चलते वह साढ़े तीन महीने तक क्वालांलमपुर जेल में बंद रही।
सुरिंदर कौर ने आरोप लगाया कि एजेंट उस पर भारत से लड़कियां लाने का दबाव बना रही थी। उसके इंकार करने पर पुलिस को सूचित कर दिया गया। एजेंट ने उसे वेतन भी नहीं दिया। सुरिंदर कौर ने बताया कि पंजाब लौटने के आठ दिन बाद उसके पति की मौत हो गई।
26 दिन बाद मां के गुजरने के बाद पूरा परिवार ही खत्म हो गया। उनका घर पहले ही गिरवी हो गया था। मोहाली निवासी सुरिंदर की बहन अवतार कौर ने जिला योजना कमेटी चेयरपर्सन अमनजोत कौर रामूवालिया से संपर्क किया। जिसके बाद बलवंत सिंह रामूवालिया ने मलयेशिया एंबेसी से तालमेल कर कानूनी कार्रवाई कराई और सुरिंदर कौर को रिहा कराया।
सुरिंदर के अलावा लुधियाना के राड़ा साहिब निवासी संदीप कौर व मंडी अहमदगढ़ निवासी प्रीति को भी मलयेशिया की जेल से छुड़वा कर पंजाब लाया गया। उस जेल में पंजाब के दस और लोग हैं, जिन्हें रिहा कराने के प्रयास चल रहे हैं। रामूवालिया ने कहा कि ट्रैवल एजेंटों के शिकार हजारों लोग विदेशी जेलों में बंद हैं। जिनमें ज्यादा संख्या पंजाबियों की है।
सुरिंदर कौर ने बताया कि एजेंट के चलते उसका परिवार खत्म हो गया और घर गिरवी हो गया। जालंधर की एजेंट के जरिए वह पति निर्माण सिंह के साथ छह जनवरी-14 को मलयेशिया गई थीं। ढाई लाख रुपये देने पर उसका वर्क परमिट लगवाया गया था। मलयेशिया में उसके पति ने सिक्योरिटी गार्ड और उसने एक रेस्टोरेंट में काम करना शुरू कर दिया।
एक साल बाद उसका पति वापस पंजाब आ गया। पर एजेंट ने वीजा खत्म होने के एक दिन पहले पुलिस को शिकायत कर दी। जिसके चलते वह साढ़े तीन महीने तक क्वालांलमपुर जेल में बंद रही।
सुरिंदर कौर ने आरोप लगाया कि एजेंट उस पर भारत से लड़कियां लाने का दबाव बना रही थी। उसके इंकार करने पर पुलिस को सूचित कर दिया गया। एजेंट ने उसे वेतन भी नहीं दिया। सुरिंदर कौर ने बताया कि पंजाब लौटने के आठ दिन बाद उसके पति की मौत हो गई।
26 दिन बाद मां के गुजरने के बाद पूरा परिवार ही खत्म हो गया। उनका घर पहले ही गिरवी हो गया था। मोहाली निवासी सुरिंदर की बहन अवतार कौर ने जिला योजना कमेटी चेयरपर्सन अमनजोत कौर रामूवालिया से संपर्क किया। जिसके बाद बलवंत सिंह रामूवालिया ने मलयेशिया एंबेसी से तालमेल कर कानूनी कार्रवाई कराई और सुरिंदर कौर को रिहा कराया।
सुरिंदर के अलावा लुधियाना के राड़ा साहिब निवासी संदीप कौर व मंडी अहमदगढ़ निवासी प्रीति को भी मलयेशिया की जेल से छुड़वा कर पंजाब लाया गया। उस जेल में पंजाब के दस और लोग हैं, जिन्हें रिहा कराने के प्रयास चल रहे हैं। रामूवालिया ने कहा कि ट्रैवल एजेंटों के शिकार हजारों लोग विदेशी जेलों में बंद हैं। जिनमें ज्यादा संख्या पंजाबियों की है।