'आप' सरकार अपना 'फ्री वाई-फाई' का वादा जल्द पूरा करने वाली है। दिल्ली सरकार के सूचना तकनीक विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। जिसमें हर सिम कार्ड पर 1 जीबी प्रति महीना फ्री वाई-फाई देने का प्लान बनाया गया है।
अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के अनुसार, आईटी विभाग ने पूरी दिल्ली में 3 हजार 'हॉट जोन' की पहचान की है, जहां सबसे पहले वाई-फाई उपलब्ध कराया जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार 3 हजार हॉट जोन आखिरी स्टेज पर बनाए जाएंगे। ये जोन दिल्ली सरकार ने स्थानीय विधायकों से राय-मशविरे के बाद बनाया है। इनमें छोटे मार्केट, पब्लिक पार्क, और अस्पतालों के बाहरी परिसर शामिल हैं।
सरकार के इस परियोजना का खर्च इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जनसंख्या घनत्व जैसे कई तथ्यों पर निर्भर करेगा।
आईटी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद बजट का आवंटन होगा और टेंडर के लिए आवेदन मंगाए जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि, 'अभी हम हर सिम पर 1 जीबी प्रति महीने फ्री वाई फाई देने पर काम कर रहे हैं।
इससे ज्यादा के इस्तेमाल पर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां यूजर पर ट्राई द्वारा तय की गईं सीमा के मुताबिक चार्ज कर सकेंगी। आगे चलकर हम इस सीमा को 5 जीबी तक ले जाने पर भी विचार कर सकते हैं।'
सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस योजना के तहत तीन तरह के वाई-फाई होंगे- पब्लिक, कॉलेज और वेहिकल। पब्लिक वाई-फाई के लिए सरकार टेंडर मंगवाएगी।
कॉलेज वाई-फाई कॉलेज मैनेजमेंट की ओर से मुहैया कराए जाने वाले लैन नेटवर्क के जरिये विकसित किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि डीटीसी बसों में भी वाई-फाई दिया जाएगा, लेकिन बसों में सिर्फ 4जी ही काम करेगा।
प्रस्ताव में आईटी विभाग ने यह भी कहा है कि पब्लिक वाई-फाई के लिए हर विधानसभा क्षेत्र से अलग-अलग टेंडर मंगाए जाएंगे और किसी आवेदक को 10 से ज्यादा हॉट जोन में इंटरनेट मुहैया कराने का हक नहीं दिया जाएगा।
अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के अनुसार, आईटी विभाग ने पूरी दिल्ली में 3 हजार 'हॉट जोन' की पहचान की है, जहां सबसे पहले वाई-फाई उपलब्ध कराया जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार 3 हजार हॉट जोन आखिरी स्टेज पर बनाए जाएंगे। ये जोन दिल्ली सरकार ने स्थानीय विधायकों से राय-मशविरे के बाद बनाया है। इनमें छोटे मार्केट, पब्लिक पार्क, और अस्पतालों के बाहरी परिसर शामिल हैं।
सरकार के इस परियोजना का खर्च इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जनसंख्या घनत्व जैसे कई तथ्यों पर निर्भर करेगा।
आईटी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद बजट का आवंटन होगा और टेंडर के लिए आवेदन मंगाए जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि, 'अभी हम हर सिम पर 1 जीबी प्रति महीने फ्री वाई फाई देने पर काम कर रहे हैं।
इससे ज्यादा के इस्तेमाल पर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां यूजर पर ट्राई द्वारा तय की गईं सीमा के मुताबिक चार्ज कर सकेंगी। आगे चलकर हम इस सीमा को 5 जीबी तक ले जाने पर भी विचार कर सकते हैं।'
सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस योजना के तहत तीन तरह के वाई-फाई होंगे- पब्लिक, कॉलेज और वेहिकल। पब्लिक वाई-फाई के लिए सरकार टेंडर मंगवाएगी।
कॉलेज वाई-फाई कॉलेज मैनेजमेंट की ओर से मुहैया कराए जाने वाले लैन नेटवर्क के जरिये विकसित किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि डीटीसी बसों में भी वाई-फाई दिया जाएगा, लेकिन बसों में सिर्फ 4जी ही काम करेगा।
प्रस्ताव में आईटी विभाग ने यह भी कहा है कि पब्लिक वाई-फाई के लिए हर विधानसभा क्षेत्र से अलग-अलग टेंडर मंगाए जाएंगे और किसी आवेदक को 10 से ज्यादा हॉट जोन में इंटरनेट मुहैया कराने का हक नहीं दिया जाएगा।