Bride Has Came From Pakistan Become Soon Indian / Bride Has Came From Pakistan Become Soon Indian

Swati
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पाकिस्तान से ब्याह कर भारत आई दुल्हनों को नागरिकता दिलाने में अब प्रदेश सरकार भी मदद करेगी। कागजी मकड़जाल में नागरिकता की गुत्थी ऐसी उलझती है कि उम्र बीत जाती है लेकिन नागरिकता नहीं मिल पाती।

खासतौर से पाकिस्तान से आई तमाम महिलाओं को अबतक भारत की नागरिकता नहीं मिल पाई है जबकि वह यहां सालों से रहते हुए परिवार की रीढ़ हैं। चुनावी पासा फेंकते हुए प्रदेश सरकार ने अब नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों के लिए अभियान चलाकर कागजी काम पूरे कराए जाएंगे। भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक संबंध भले ही कुछ हों।

दोनो देशों के बीच रोटी बेटी का रिश्ता आज भी मजबूत है। आज भी दोनो देशों में वैवाहिक संबंध की डोर कमजोर जरूर हुई है लेकिन इक्का-दुक्का रिश्ते हो रहे हैं। पाकिस्तान की दुल्हनें भारत आती हैं लेकिन अरसा बीतने के बाद भी वह भारतीय नागरिक नहीं बन पातीं और तमाम सुविधाओं से वंचित रखा जाता है।यूपी में भी काफी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं। अब तक 36 दुल्हन सहित 45 लोग नागरिकता के लिए भटक रहे हैं। पिछले पांच साल में दस पाकिस्तानी दुल्हन बरेली आईं। लेकिन समस्या इनकी नागरिकता को लेकर आ रही है। इनमें से दर्जनभर महिलाएं� 60 साल की हो गई हैं। जबकि सात साल भारत में रहने पर नागरिकता के लिए आवेदन कर सकती हैं। 

क्या होती है दिक्कत

नागरिकता न मिलने के कारण बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पातीं। यहां तक कि राशन कार्ड में नाम तक नहीं चढ़ पा रहा है। मोबाइल सिम का कनेक्शन तक अपने नाम से नहीं ले पा रही हैं। 

केस 1

अपने देश में भी नहीं मिल रही नागरिकता
थाना बारादरी के चक महमूद में रहने वाली कमर जहां 30 साल पहले शादी होकर लाहौर (पाकिस्तान)� चली गईं थीं। वहां सात साल बाद पाकिस्तान की नागरिकता मिल गई । कुछ साल बाद पति से विवाद होने पर तलाक लेकर बरेली आना पड़ा। यहां पर सैयद मुंसिफ अली से निकाह हुआ और करीब पंद्रह साल से भारत की नागरिकता के लिए भटक रहीं हैं।

केस दो-20 साल से मां-बेटे को नागरिकता नहीं मिली
मोला नगर की रहने वाली रफत परवीन बीस साल से भारत की नागरिकता के लिए भटक रहीं हैं। इनकी गलती यह रही कि कराची पाकिस्तान के जावेद खां से निकाह कर लिया। कुछ सालों के बाद परिवार में कहासुनी हुई और तलाक हो गया।

वहां की सरकार ने सुनवाई नहीं की तो मजबूरी में बेटा नावेद के साथ बरेली आना पड़ा। यहां मुख्तार अहमद से निकाह किया, कुछ सालों के बाद मुख्तार का इंतकाल हो गया। अब बेटा नावेद के सहारे रफत परवीन की जिंदगी गुजर रही है। मां और बेटे दोनों नागरिकता के लिए परेशान हैं, इन्हें लंबी अवधि के बीजे पर ही बरेली में रहना पड़ रहा है।

केस तीन-15 साल से लीलाबाई नागरिकता की लाइन में
पाकिस्तान के सिंध प्रांत से विवाह होकर आईं लीलाबाई को भी 15 साल से नागरिकता नहीं मिल पा रही है। लीलाबाई का विवाद सिंधूनगर में रहने वाले नरेंद्र कुमार से हुआ था। इस समय वह लंबी अवधि के वीजा पर रह रही हैं। इनके अलावा बारादरी के काकरटोला की रहने वाली फौजिया बेगम, कोहड़ापीर की नाहिदा सुल्तान और नार्थ सिटी की सलमा जहूरी भी 15 साल से नागरिकता के लिए आवेदन किए हुए हैं।

बाक्स-15-16 जुलाई को लगेंगे विशेष शिविर
बरेली। बरेली सहित प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य शहरों में लंबे समय से रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को लंबी अवधि के वीजा और भारत की नागरिकता में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए 15 व 16 जुलाई को विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इन शिविरों में नागरिकता और वीजा लेने में आने वाली दिक्कतों को दूर किया जाएगा।

इस बारे में प्रमुख सचिव (गृह) देवाशीष पांडा ने डीएम और एसएसपी को आदेश जारी किया है, जिसमें कहा है कि पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा तथा भारतीय नागरिकता के आवेदन करने में जो भी दिक्कतें आ रहीं हों उनको दूर करने के लिए विशेष शिविर लगवाए जाएं।

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