यूपी के मेरठ में सांस बचाने के लिए अनीता बदमाशों से अंतिम सांस तक लड़ीं। मौका-ए-वारदात खुद ही बया करता है कि किस बर्बरता से कारोबारी की पत्नी को कत्ल किया गया और बचाव में कातिलों से किस तरह डटकर मुकाबला हुआ होगा।
बदमाशों ने अनीता के मुंह में कपड़ा ठूंसकर उन्हें चाकू से गोदा। अनीता का चश्मा और जबड़ा (आर्टिफिशियल) खून से लथपथ जीने पर पड़ा मिला। उनका एक पैर भी जीने की रेलिंग में फंसा हुआ था।
डेयरी कारोबारी प्रदीप जैन के घर में बाहर से दो दरवाजों से एंट्री है। घटना के बाद घर के दोनों दरवाजे खुले मिले। अनीता की हत्या बदमाशों ने जीने के पहले पायदान पर की, जहां पर अनीता कपड़ों की सिलाई कर रही थीं।
पुलिस का मानना है कि बदमाशों ने मुख्यद्वार से एंट्री की होगी और जीने के नीचे ही अनीता को कब्जे में कर लिया। मौका-ए-वारदात पर मिले साक्ष्य गवाही देते हैं कि बदमाशों से खुद को बचाने के लिए अनीता ने काफी संघर्ष किया।
जान बचाने की जद्दोजहद में अनीता का एक पैर भी जीने की रेलिंग में फंस गया था। लेकिन अकेली अनीता कहां तक बदमाशों का मुकाबला करतीं। बदमाशों ने उन्हें घेरकर मुंह में कपड़ा ठूंसकर चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दिए। जिसकी गवाही उनका खून से लथपथ चश्मा और आर्टिफिशियल जबड़े ने दी।
जीने के पहले पायदान पर ही कैंची रखी थी, लेकिन अनीता का उस तक हाथ नहीं पहुंचा। माना जा रहा है कि यदि संघर्ष के दौरान अनीता के हाथ में कैंची आ जाती तो बदमाश भी जरूर घायल होता।
मौका-ए-वारदात पर मकान के दोनों दरवाजे खुले मिले। जिससे साफ है कि कातिल वारदात के बाद आसानी से फरार हुए और उन्होंने दरवाजे बंद करना मुनासिब नहीं समझा।
बड़ा सवाल यही है कि जिस जगह पर घटना हुई वहां से दोनों दरवाजों से देखा जा सकता था। क्या बदमाशों ने वारदात के दौरान दरवाजा बंद किया था या नहीं। आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने किसी को नहीं देखा।
दीवारें खून से सनी थी। फर्श पर खून बह रहा था। अनीता के शरीर पर चाकू के कई निशान थे। यह खूनी मंजर देखकर लोग सहम गए। बदमाशों ने वारदात करने के लिए अनीता को बर्बरता से मारा। अनीता को चीखने चिल्लाने का मौका भी नहीं मिला।
बदमाशों ने अनीता के मुंह में कपड़ा ठूंसकर उन्हें चाकू से गोदा। अनीता का चश्मा और जबड़ा (आर्टिफिशियल) खून से लथपथ जीने पर पड़ा मिला। उनका एक पैर भी जीने की रेलिंग में फंसा हुआ था।
डेयरी कारोबारी प्रदीप जैन के घर में बाहर से दो दरवाजों से एंट्री है। घटना के बाद घर के दोनों दरवाजे खुले मिले। अनीता की हत्या बदमाशों ने जीने के पहले पायदान पर की, जहां पर अनीता कपड़ों की सिलाई कर रही थीं।
पुलिस का मानना है कि बदमाशों ने मुख्यद्वार से एंट्री की होगी और जीने के नीचे ही अनीता को कब्जे में कर लिया। मौका-ए-वारदात पर मिले साक्ष्य गवाही देते हैं कि बदमाशों से खुद को बचाने के लिए अनीता ने काफी संघर्ष किया।
जान बचाने की जद्दोजहद में अनीता का एक पैर भी जीने की रेलिंग में फंस गया था। लेकिन अकेली अनीता कहां तक बदमाशों का मुकाबला करतीं। बदमाशों ने उन्हें घेरकर मुंह में कपड़ा ठूंसकर चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दिए। जिसकी गवाही उनका खून से लथपथ चश्मा और आर्टिफिशियल जबड़े ने दी।
जीने के पहले पायदान पर ही कैंची रखी थी, लेकिन अनीता का उस तक हाथ नहीं पहुंचा। माना जा रहा है कि यदि संघर्ष के दौरान अनीता के हाथ में कैंची आ जाती तो बदमाश भी जरूर घायल होता।
मौका-ए-वारदात पर मकान के दोनों दरवाजे खुले मिले। जिससे साफ है कि कातिल वारदात के बाद आसानी से फरार हुए और उन्होंने दरवाजे बंद करना मुनासिब नहीं समझा।
बड़ा सवाल यही है कि जिस जगह पर घटना हुई वहां से दोनों दरवाजों से देखा जा सकता था। क्या बदमाशों ने वारदात के दौरान दरवाजा बंद किया था या नहीं। आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने किसी को नहीं देखा।
दीवारें खून से सनी थी। फर्श पर खून बह रहा था। अनीता के शरीर पर चाकू के कई निशान थे। यह खूनी मंजर देखकर लोग सहम गए। बदमाशों ने वारदात करने के लिए अनीता को बर्बरता से मारा। अनीता को चीखने चिल्लाने का मौका भी नहीं मिला।