आज मोबाइल फोन काफी महत्वपूर्ण हो गया है जहां पहले हम फोन का उपयोग केवल कॉल के लिए करते थे वहीं अब इंटरनेट, बैकिंग और एजुकेशन सहित लगभग हर प्रकार की सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है। बेहतरीन फोन लेने की चाह में हम अक्सर बिना किसी जानकारी के केवल स्टाइलिश लुक देखकर फोन खरीद लेते हैं।
किंतु फोन खरीदने से पहले उसके सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जान लेना भी जरूरी है। ताकि बाद में फोन को लेकर किसी प्रकार का पछतावा न हो। आगे हम आपको कुछ ऐसी ही जानकारी दे रहे हैं जो कि फोन खरीदते समय काफी लाभदायक होंगी।
स्मार्टफोन खरीदने से पहले जरूरी है कि सबसे पहले आप यह निर्णय कर लें कि किस ऑपरेटिंग के साथ आप ज्यादा सहज हैं। आज बाजार में एंड्रॉयड, विंडोज, ब्लैकबेरी और आईओएस ऑपरेटिंग आधारित फोन स्मार्टफोन की गिनती में आते हैं।
एंड्रॉयड फोन की आज विश्व भर में सबसे ज्यादा लोकप्रियता है। इसके अलावा एंड्रॉयड फोन की एक और खासियत यह है कि यह सबसे कम बजट में उपलब्ध है। एंड्रॉयड के बाद विंडोज फोन भी हाल के दिनों में काफी लोकप्रियता बटोर रहा है।
नोकिया के लूमिया फोन विंडोज फोन ऑपरेटिंग आधारित हैं जबकि आज के दिनों में कुछ भारतीय निर्माता भी विंडोज फोन निर्माण के लिए आगे आए हैं। आईओएस सिर्फ एप्पल के फोन में है जबकि ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग के साथ ब्लैकबेरी फोन का निर्माण किया जाता है।
ऑपरेटिंग के अनुसार उपयोग का तरीका तो बदल ही जाता है, साथ ही, एप्लिकेशन और गेम की उपलब्धता भी ऑपरेटिंग पर ही निर्भर करती है। इस तरह फोन का चुनाव से पहले आवश्यक है कि आप ऑपरेटिंग का चुनाव करें फिर ब्रांड।
पहले मोबाइल फोन में स्टाइल को महत्व दिया जाता था और स्क्रीन का आकार छोटा होता था लेकिन आज सब कुछ स्क्रीन पर निर्भर है। क्लैमशेल, स्लाइडर और फ्लिप डिजाइन गायब हो गए हैं और टच स्क्रीन के साथ बार फोन उपलब्ध हैं।
अच्छी बात यह कही जा सकती है कि बेहतर टच अनुभव के साथ आज कपैसिटिव तकनीक कम रेंज के फोन में भी उपलब्ध हो चुकी है। ऐसे में आपको स्क्रीन रेजल्यूशन पर नजर रखनी है। स्क्रीन रेजल्यूशन जितना बेहतर होगा डिस्प्ले उतना अच्छा और गेम व एप्लिकेशन सपोर्ट भी ज्यादा होगा।
रेजल्यूशन के साथ ही आपको अपने लिए उचित आकार की स्क्रीन का चुनाव भी करना है। आज औसतन 4 इंच स्क्रीन के साथ फोन उपलब्ध हैं जबकि बड़ी स्क्रीन वाले फोन की बात करें तो आज छह इंच तक के फोन उपलब्ध हो चुके हैं लेकिन इतना बड़ा फोन उन्हीं लोगों के लिए फायदेमंद है जो इस पर ऑफिस कार्य करना चाहते हैं।
डॉक्यूमेंट एडिट करने और ईमेल के लिए बड़े आकार के फोन बेहतर हैं। अन्यथा यदि फोन, ईमेल, फोटो और म्यूजिक की बात करें तो 4.5 इंच तक के फोन ज्यादा बेहतर कहे जाएंगे। बड़ी स्क्रीन के फोन को रखने में भी थोड़ी परेशानी होती है।
आज स्मार्टफोन में सबसे ज्यादा जिक्र प्रोसेसर और रैम का ही होता है। फोन की गति प्रोसेसर पर निर्भर करती है जबकि रैम उसे बेहतर तरीके से कार्यान्वन करने में सहायक होती है। इसलिए फोन की खरीदारी से पहले प्रोसेसर और रैम के बारे में पूरी तरह जानकारी प्राप्त कर लें। प्रोसेसर की ताकत गीगाहर्ट्ज पर निर्भर होती है और कोर उसे ज्यादा स्मार्ट व सक्षम बनाता है।
मल्टी-टास्किंग और गेमिंग के बेहतर अनुभव के लिए आवश्यक है कि ज्यादा कोर वाला फोन लिया जाए। वैसे तो आज ऑक्टाकोर फोन उपलब्ध हो चुका है लेकिन इनकी संख्या फिलहाल कम है।
कम बजट में क्वाडकोर फोन उपलब्ध हैं जो बेहतर कहे जा सकते हैं। इसके अलावा यदि प्रोसेसर किसी भरोसेमंद कंपनी जैसे क्वालकॉम, एनवीडिया और ब्रॉडकॉम का हो तो और भी अच्छा कहा जाएगा। इन कंपनियों के प्रोसेसर बेहतर परफॉर्मेंस के लिए जाने जाते हैं।
अक्सर ऐसा होता है कि स्मार्टफोन के नाम पर हम कुछ भी उठाकर ले आते हैं यह नहीं देखते कि फोन की इंटरनल मैमोरी कितनी है और कितनी एक्सपेंडेबल है।
स्मार्टफोन में इंटरनल मैमोरी ज्यादा होनी बेहद जरूरी है। फोन की इंटरनल मैमोरी में ही ऑपरेटिंग और एप्लिकेशन इंस्टॉल होते हैं।
हांलाकि एप्लिकेशन को अब कार्ड में भी इंस्टॉल करने का विकल्प दिया गया है लेकिन बावजूद इसके वह इंटरनल मैमोरी का उपयोग करती ही है।
ऐसे में जरूरी हो जाता है कि कम से कम आपके स्मार्टफोन की मैमोरी 8 जीबी हो। क्योंकि जिस तरह तकनीक और डाटा कि उपयोगिता बढ़ रही है वैसे में कम मैमोरी वाले फोन कुछ ही दिनों में परेशानी खड़ी करने लगेंगे।
स्मार्टफोन खरीदने से पहले यह भी देख लें कि फोन में दोहरा कैमरा है या नहीं। क्योंकि आज कई मुफ्त वीडियो कॉलिंग के एप्लिकेशन उपलब्ध हैं और इनका उपयोग सेकेंड्री कैमरे के माध्यम से ही किया जा सकता है। वहीं यदि आप कैमरे से फोटोग्राफी के शौकीन हैं तो यह भी जानकारी ले लें कि कितने मेगापिक्सल का कैमरा है और कैमरे के साथ कितने स्मार्ट फीचर हैं।
स्मार्टफोन में यह भी देखना जरूरी है कि फोन का ऑपरेटिंग नया है या नहीं और इसे कितना अपडेट मिलेगा। क्योंकि पुराना ऑपरेटिंग आधारित यदि फोन लेते हैं तो कुछ ही दिनों में तकनीकी रूप से यह पीछे हो जाएगा और एप्लिकेशन सपोर्ट भी कम होगा।
इसके अलावा कैमरे के साथ बर्स्ट शॉट, जीयो टैग, स्माइल डिटेक्शन और पैनोरामा इत्यादि फीचर है या नहीं। कनेक्टिविटी के लिए फोन में 3जी, वाई-फाई और ब्लूटूथ का कौन सा संस्करण है। फोन में कौन-कौन से एप्लिकेशन स्टोर का सपोर्ट है और कितनी एप्लिकेशन उपलब्ध हैं।
स्मार्टफोन को हैक होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है इसलिए फोन खरीदारी से पहले यह भी जानकारी ले लें कि ऑपरेटिंग कितना सुरक्षित है। वहीं फोन टूटने-फूटने और रगड़ लगने से बचने के लिए किस तरह की सुरक्षा दी गई है। स्क्रीन प्रोटेक्शन के लिए फोन गोरिल्ला ग्लास कोटेड है या नही। धूल व पानी से बचाव के लिए किस तरह की सुरक्षा दी गई है इत्यादि।
मोबाइल फोन ही नहीं बल्कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक चीज की खरीदारी से पहले यह जानकरी ले लें, कंपनी के कितने सर्विस सेंटर हैं और नजदीकी सर्विस सेंटर कहां है। सर्विस सेंटर द्वारा किस तरह की सेवा दी जा रही है और वहां के इंजीनियर्स कितने सक्षम हैं। क्योंकि दूर-दराज या फिर खराब सर्विस सेंटर होने पर आपको कई तरह की समस्या हो सकती हैं।
किंतु फोन खरीदने से पहले उसके सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जान लेना भी जरूरी है। ताकि बाद में फोन को लेकर किसी प्रकार का पछतावा न हो। आगे हम आपको कुछ ऐसी ही जानकारी दे रहे हैं जो कि फोन खरीदते समय काफी लाभदायक होंगी।
स्मार्टफोन खरीदने से पहले जरूरी है कि सबसे पहले आप यह निर्णय कर लें कि किस ऑपरेटिंग के साथ आप ज्यादा सहज हैं। आज बाजार में एंड्रॉयड, विंडोज, ब्लैकबेरी और आईओएस ऑपरेटिंग आधारित फोन स्मार्टफोन की गिनती में आते हैं।
एंड्रॉयड फोन की आज विश्व भर में सबसे ज्यादा लोकप्रियता है। इसके अलावा एंड्रॉयड फोन की एक और खासियत यह है कि यह सबसे कम बजट में उपलब्ध है। एंड्रॉयड के बाद विंडोज फोन भी हाल के दिनों में काफी लोकप्रियता बटोर रहा है।
नोकिया के लूमिया फोन विंडोज फोन ऑपरेटिंग आधारित हैं जबकि आज के दिनों में कुछ भारतीय निर्माता भी विंडोज फोन निर्माण के लिए आगे आए हैं। आईओएस सिर्फ एप्पल के फोन में है जबकि ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग के साथ ब्लैकबेरी फोन का निर्माण किया जाता है।
ऑपरेटिंग के अनुसार उपयोग का तरीका तो बदल ही जाता है, साथ ही, एप्लिकेशन और गेम की उपलब्धता भी ऑपरेटिंग पर ही निर्भर करती है। इस तरह फोन का चुनाव से पहले आवश्यक है कि आप ऑपरेटिंग का चुनाव करें फिर ब्रांड।
पहले मोबाइल फोन में स्टाइल को महत्व दिया जाता था और स्क्रीन का आकार छोटा होता था लेकिन आज सब कुछ स्क्रीन पर निर्भर है। क्लैमशेल, स्लाइडर और फ्लिप डिजाइन गायब हो गए हैं और टच स्क्रीन के साथ बार फोन उपलब्ध हैं।
अच्छी बात यह कही जा सकती है कि बेहतर टच अनुभव के साथ आज कपैसिटिव तकनीक कम रेंज के फोन में भी उपलब्ध हो चुकी है। ऐसे में आपको स्क्रीन रेजल्यूशन पर नजर रखनी है। स्क्रीन रेजल्यूशन जितना बेहतर होगा डिस्प्ले उतना अच्छा और गेम व एप्लिकेशन सपोर्ट भी ज्यादा होगा।
रेजल्यूशन के साथ ही आपको अपने लिए उचित आकार की स्क्रीन का चुनाव भी करना है। आज औसतन 4 इंच स्क्रीन के साथ फोन उपलब्ध हैं जबकि बड़ी स्क्रीन वाले फोन की बात करें तो आज छह इंच तक के फोन उपलब्ध हो चुके हैं लेकिन इतना बड़ा फोन उन्हीं लोगों के लिए फायदेमंद है जो इस पर ऑफिस कार्य करना चाहते हैं।
डॉक्यूमेंट एडिट करने और ईमेल के लिए बड़े आकार के फोन बेहतर हैं। अन्यथा यदि फोन, ईमेल, फोटो और म्यूजिक की बात करें तो 4.5 इंच तक के फोन ज्यादा बेहतर कहे जाएंगे। बड़ी स्क्रीन के फोन को रखने में भी थोड़ी परेशानी होती है।
आज स्मार्टफोन में सबसे ज्यादा जिक्र प्रोसेसर और रैम का ही होता है। फोन की गति प्रोसेसर पर निर्भर करती है जबकि रैम उसे बेहतर तरीके से कार्यान्वन करने में सहायक होती है। इसलिए फोन की खरीदारी से पहले प्रोसेसर और रैम के बारे में पूरी तरह जानकारी प्राप्त कर लें। प्रोसेसर की ताकत गीगाहर्ट्ज पर निर्भर होती है और कोर उसे ज्यादा स्मार्ट व सक्षम बनाता है।
मल्टी-टास्किंग और गेमिंग के बेहतर अनुभव के लिए आवश्यक है कि ज्यादा कोर वाला फोन लिया जाए। वैसे तो आज ऑक्टाकोर फोन उपलब्ध हो चुका है लेकिन इनकी संख्या फिलहाल कम है।
कम बजट में क्वाडकोर फोन उपलब्ध हैं जो बेहतर कहे जा सकते हैं। इसके अलावा यदि प्रोसेसर किसी भरोसेमंद कंपनी जैसे क्वालकॉम, एनवीडिया और ब्रॉडकॉम का हो तो और भी अच्छा कहा जाएगा। इन कंपनियों के प्रोसेसर बेहतर परफॉर्मेंस के लिए जाने जाते हैं।
अक्सर ऐसा होता है कि स्मार्टफोन के नाम पर हम कुछ भी उठाकर ले आते हैं यह नहीं देखते कि फोन की इंटरनल मैमोरी कितनी है और कितनी एक्सपेंडेबल है।
स्मार्टफोन में इंटरनल मैमोरी ज्यादा होनी बेहद जरूरी है। फोन की इंटरनल मैमोरी में ही ऑपरेटिंग और एप्लिकेशन इंस्टॉल होते हैं।
हांलाकि एप्लिकेशन को अब कार्ड में भी इंस्टॉल करने का विकल्प दिया गया है लेकिन बावजूद इसके वह इंटरनल मैमोरी का उपयोग करती ही है।
ऐसे में जरूरी हो जाता है कि कम से कम आपके स्मार्टफोन की मैमोरी 8 जीबी हो। क्योंकि जिस तरह तकनीक और डाटा कि उपयोगिता बढ़ रही है वैसे में कम मैमोरी वाले फोन कुछ ही दिनों में परेशानी खड़ी करने लगेंगे।
स्मार्टफोन खरीदने से पहले यह भी देख लें कि फोन में दोहरा कैमरा है या नहीं। क्योंकि आज कई मुफ्त वीडियो कॉलिंग के एप्लिकेशन उपलब्ध हैं और इनका उपयोग सेकेंड्री कैमरे के माध्यम से ही किया जा सकता है। वहीं यदि आप कैमरे से फोटोग्राफी के शौकीन हैं तो यह भी जानकारी ले लें कि कितने मेगापिक्सल का कैमरा है और कैमरे के साथ कितने स्मार्ट फीचर हैं।
स्मार्टफोन में यह भी देखना जरूरी है कि फोन का ऑपरेटिंग नया है या नहीं और इसे कितना अपडेट मिलेगा। क्योंकि पुराना ऑपरेटिंग आधारित यदि फोन लेते हैं तो कुछ ही दिनों में तकनीकी रूप से यह पीछे हो जाएगा और एप्लिकेशन सपोर्ट भी कम होगा।
इसके अलावा कैमरे के साथ बर्स्ट शॉट, जीयो टैग, स्माइल डिटेक्शन और पैनोरामा इत्यादि फीचर है या नहीं। कनेक्टिविटी के लिए फोन में 3जी, वाई-फाई और ब्लूटूथ का कौन सा संस्करण है। फोन में कौन-कौन से एप्लिकेशन स्टोर का सपोर्ट है और कितनी एप्लिकेशन उपलब्ध हैं।
स्मार्टफोन को हैक होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है इसलिए फोन खरीदारी से पहले यह भी जानकारी ले लें कि ऑपरेटिंग कितना सुरक्षित है। वहीं फोन टूटने-फूटने और रगड़ लगने से बचने के लिए किस तरह की सुरक्षा दी गई है। स्क्रीन प्रोटेक्शन के लिए फोन गोरिल्ला ग्लास कोटेड है या नही। धूल व पानी से बचाव के लिए किस तरह की सुरक्षा दी गई है इत्यादि।
मोबाइल फोन ही नहीं बल्कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक चीज की खरीदारी से पहले यह जानकरी ले लें, कंपनी के कितने सर्विस सेंटर हैं और नजदीकी सर्विस सेंटर कहां है। सर्विस सेंटर द्वारा किस तरह की सेवा दी जा रही है और वहां के इंजीनियर्स कितने सक्षम हैं। क्योंकि दूर-दराज या फिर खराब सर्विस सेंटर होने पर आपको कई तरह की समस्या हो सकती हैं।