पीजीआई के जच्चा-वार्ड का एक प्राइवेट कक्ष आजकल जटिल मानवीय रिश्तों की त्रासदी का गवाह बना हुआ है। चुनौती है, एक 12 साल की दुष्कर्म पीड़िता के बच्चे का लालन-पालन। इसकी जिम्मेदारी पीजीआई की डॉक्टर और नर्स को ही दी गई है। बच्चे को मां से अलग रखा गया है।
करनाल की इस पीड़िता की मई के दूसरे हफ्ते में डिलीवरी हुई थी। पीड़िता और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। बच्चे का ख्याल डॉक्टर और नर्स रख रही हैं। बच्चे को फीडिंग की जिम्मेदारी नर्स की गई है। डॉक्टर और नर्स के अलावा बच्चे से किसी को भी मिलने की इजाजत नहीं है।
हाईकोर्ट ने पीजीआई को पीड़िता व बच्चे की पहचान उजागर न करने के निर्देश दिए हैं। इसलिए पीजीआई में न तो पीड़िता का कोई रिकॉर्ड है और न ही बच्चे का। बच्चे को जन्म देने के बाद विक्टिम व उसके परिजनों ने पीजीआई से कहा कि है कि उसके बच्चे को गोद दे दिया जाए।
उसके बाद पीजीआई की ओर से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक एप्लीकेशन डाली गई, जिसमें कहा गया है कि पीड़िता चाहती है कि कोई उसके शिशु को गोद ले ले। हाईकोर्ट ने इस केस को सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सीएआरए) को भेजा है। उनका कहना है कि असहमति से बने संबंध से जन्मे बच्चे को गोद देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम सीएआरए को करना होगा। सीएआरए 29 मई को जवाब देगी।
करनाल की इस पीड़िता की मई के दूसरे हफ्ते में डिलीवरी हुई थी। पीड़िता और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। बच्चे का ख्याल डॉक्टर और नर्स रख रही हैं। बच्चे को फीडिंग की जिम्मेदारी नर्स की गई है। डॉक्टर और नर्स के अलावा बच्चे से किसी को भी मिलने की इजाजत नहीं है।
हाईकोर्ट ने पीजीआई को पीड़िता व बच्चे की पहचान उजागर न करने के निर्देश दिए हैं। इसलिए पीजीआई में न तो पीड़िता का कोई रिकॉर्ड है और न ही बच्चे का। बच्चे को जन्म देने के बाद विक्टिम व उसके परिजनों ने पीजीआई से कहा कि है कि उसके बच्चे को गोद दे दिया जाए।
उसके बाद पीजीआई की ओर से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक एप्लीकेशन डाली गई, जिसमें कहा गया है कि पीड़िता चाहती है कि कोई उसके शिशु को गोद ले ले। हाईकोर्ट ने इस केस को सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सीएआरए) को भेजा है। उनका कहना है कि असहमति से बने संबंध से जन्मे बच्चे को गोद देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम सीएआरए को करना होगा। सीएआरए 29 मई को जवाब देगी।
मार्च में दुराचार पीड़िता की मां ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बेटी के अबॉर्शन की इजाजत मांगी थी। 8 अप्रैल को हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रेग्नेंसी को 34 हफ्ते हो चुके हैं, ऐसे में इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
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रेप का आरोपी मूल रूप से कैथल का रहने वाला है। वह विवाहित और एक बच्चे का पिता भी है। आरोपी की पीड़ित परिवार से जान पहचान है। उसी का फायदा उठाकर उसने बच्ची का यौन शोषण किया।
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साल 2009 में चंडीगढ़ के नारी निकेतन में मानसिक रूप से कमजोर एक नाबालिग से रेप का मामला सामने आया था। इस घटना का खुलासा तब हुआ था, जब नाबालिग गर्भवती हो गई। जांच में पता चलने के बाद उसके अबॉर्शन का मामला अदालत में पहुंचा। गर्भ ज्यादा दिन का हो गया था, इसलिए कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत नहीं दी।
बाद में जीएमसीएच-32 के पूर्व डायरेक्टर प्रिंसिपल राज बहादुर को अभिभावक नियुक्त कर उसकी डिलीवरी करवाई गई। उसने एक बच्ची को जन्म दिया। शहर के एक स्नेहालय में इस बच्ची का पालन-पोषण हो रहा है।
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रेप का आरोपी मूल रूप से कैथल का रहने वाला है। वह विवाहित और एक बच्चे का पिता भी है। आरोपी की पीड़ित परिवार से जान पहचान है। उसी का फायदा उठाकर उसने बच्ची का यौन शोषण किया।
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साल 2009 में चंडीगढ़ के नारी निकेतन में मानसिक रूप से कमजोर एक नाबालिग से रेप का मामला सामने आया था। इस घटना का खुलासा तब हुआ था, जब नाबालिग गर्भवती हो गई। जांच में पता चलने के बाद उसके अबॉर्शन का मामला अदालत में पहुंचा। गर्भ ज्यादा दिन का हो गया था, इसलिए कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत नहीं दी।
बाद में जीएमसीएच-32 के पूर्व डायरेक्टर प्रिंसिपल राज बहादुर को अभिभावक नियुक्त कर उसकी डिलीवरी करवाई गई। उसने एक बच्ची को जन्म दिया। शहर के एक स्नेहालय में इस बच्ची का पालन-पोषण हो रहा है।